काशी तमिल संगमम भी पहली बार बनेगा महाकुंभ का हिस्सा, तमिलनाडु से आएगा 1500 लोगों का दल
![काशी तमिल संगमम भी पहली बार बनेगा महाकुंभ का हिस्सा, तमिलनाडु से आएगा 1500 लोगों का दल काशी तमिल संगमम भी पहली बार बनेगा महाकुंभ का हिस्सा, तमिलनाडु से आएगा 1500 लोगों का दल](https://www.jantakiawaz.org/h-upload/2025/01/21/531835-eb874705-3587-4fdf-a2a9-3098ac281963.webp)
काशी तमिल संगमम में शामिल होने वाला दल पहली बार महाकुंभ में डुबकी लगाएगा। ये दल अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के लिए भी जाएगा। यह काशी तमिल संगमम का तीसरा संस्करण है, जिसे पिछले दो साल से एक भारत, श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत आयोजित किया जा रहा है। 15 फरवरी से इसका तीसरा संस्करण शुरू हो रहा है।
इसका मुख्य उद्देश्य तमिलनाडु के लोगों को काशी संस्कृति से परिचित कराना है। पद्मश्री चम्मू कृष्ण शास्त्री ने बताया कि काशी तमिल संगमम के दौरान तमिलनाडु का दल काशी के उन स्थानों का दौरा भी करेगा जहां तमिल संस्कृति के प्रसिद्ध व्यक्तित्व, जैसे सुब्रह्मण्यम भारती ने जहां बिताया था और काशी को समझा था।
उन्होंने बताया कि इस साल काशी-तमिल संगमम का विशेष महत्व है, क्योंकि यह महाकुंभ के साथ होने जा रहा है। इसीलिए दल में शामिल सभी लोग महाकुंभ गंगा में स्नान करेंगे और वहां एक रात टेंट में बिताएंगे। पहली बार लोगों को अयोध्या भेजा जा रहा है। यात्रा में शामिल लोगों के पास खास पास रहेगा, ताकि वह आसानी से दर्शन कर सकें।
संगमम की मुख्य थीम ऋषि अगस्त्य के महत्वपूर्ण योगदान को सामने लाना: काशी तमिल संगमम की मुख्य थीम ऋषि अगस्त्य के महत्वपूर्ण योगदान को भी सामने लाना है। जो उन्होंने सिद्धा चिकित्सा पद्धति (भारतीय चिकित्सा), शास्त्रीय तमिल साहित्य और राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता में दिया है।
इस मौके पर एक विशिष्ट प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी जिसमें ऋषि अगस्त्य के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं को समेटा जाएगा। स्वास्थ्य, दर्शन, विज्ञान, भाषा विज्ञान, साहित्य, राजनीतिक, संस्कृति, कला, विशेष रूप से तमिल और तमिलनाडु के लिए उनके योगदान को इस प्रदर्शनी के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।