महाकुंभ में 200 पुरुष तो 20 महिलाएं बनीं नागा संन्यासी, यहां जानें अब तक कितने लाेगों ने मोह-माया का किया त्याग
महाकुंभ नगर। घर-परिवार, सुख-सुविधाओं से मुक्त होकर महाकुंभ में 220 और लोग संन्यास लेकर नागा संन्यासी बन गए हैं। जूना अखाड़ा ने दो सौ पुरुष और 20 महिलाओं को संन्यास ग्रहण कराया। उन्होंने विधि-विधान से पिंडदान और विजया हवन कर स्वयं का जीवन सनातन धर्म को समर्पित कर दिया।
संन्यास लेने वालों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, वेस्ट बंगाल, छत्तीसगढ़ और बिहार की महिलाएं व पुरुष शामिल हैं। महाकुंभ में अभी तक जूना अखाड़ा में 4500 नागा संन्यासी और 2150 संन्यासिनी बनाई गईं हैं। जो बचे थे उन्हें शनिवार को संन्यास ग्रहण कराया गया।
108 बार मंत्रोच्चार के बीच लगवाई गई डुबकी
सेक्टर 20 स्थित गंगा घाट पर सबको 108 बार मंत्रोच्चार के बीच डुबकी लगवाई गई। इसके बाद सभी ने पिंडदान किया। पिंडदान के बाद घर-परिवार से संपर्क खत्म कर स्वयं को मृत घोषित कर दिया। दशनामी संन्यासिनी अखाड़ा की अध्यक्ष डॉ. देव्या गिरि के अनुसार नागा संन्यासी व संन्यासिनी बनने वाले सभी लोग वसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व में शामिल होंगे।
जप तप में रहना होगा लीन
इस दौरान उन्हें समस्त महिलाओं के साथ अमृत स्नान कराया जाएगा। तब तक अखाड़े के शिविर में रहकर उन्हें जप-तप में लीन रहना होगा। स्नान के बाद वे सभी अखाड़े का हिस्सा बन जाएंगे।
अब तक बनाए जा चुके 8495 नागा संन्यासी
महाकुंभ में 28 जनवरी तक 8495 नागा संन्यासी बनाए जा चुके थे। इसमें जूना में 4500 संन्यासी, 2150 संन्यासिनी, महानिर्वाणी में 250, निरंजनी में 1100 संन्यासी व 150 संन्यासिनी, अटल में 85 संन्यासी, आवाहन में 150, बड़ा उदासीन में 110 संन्यासी हैं।
स्नान में नहीं किया गया भव्यता का प्रदर्शन
उन्हें 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अमृत स्नान पर्व में शामिल होना था, लेकिन संगम तट पर भगदड़ मचने के कारण अखाड़ों ने साधारण तरीके से स्नान किया। हालांकि भव्यता का प्रदर्शन नहीं किया गया। अब सभी नागा संन्यासी और संन्यासिनी वसंत पंचमी पर स्नान करेंगे।
त्रिवेणी में लगाएंगे पुण्य की डुबकी
अस्त्र-शस्त्र के साथ शौर्य का प्रदर्शन करते हुए पावन त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाएंगे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि के अनुसार, नए नागा संन्यासियों के मन में अमृत स्नान को लेकर उल्लास और उत्साह देखने को मिल रहा है। आगामी स्नान पर्व निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए सभी जप-तप में लीन हैं। आपको बता दें कि 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ मेले में कई विदेशियों ने भी दीक्षा ली है।