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उत्तर प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट और CJI पर क्या है BJP सांसद निशिकांत दुबे का पूरा बयान, जिस पर मचा बवाल?

सुप्रीम कोर्ट और CJI पर क्या है BJP सांसद निशिकांत दुबे का पूरा बयान, जिस पर मचा बवाल?
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ सांसद निशिकांत दुबे की ओर से सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्य न्यायाधीश को लेकर दिए गए बयान के बाद बवाल मच गया है. विपक्ष की ओर से जहां इस बयान पर निराशा जताई गई है, तो वहीं उनकी पार्टी ने इस बयान से किनारा कर लिया है. निशिकांत के अलावा उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने भी सुप्रीम कोर्ट को लेकर टिप्पणी की थी.

विवाद बढ़ने पर बीजेपी ने कल शनिवार को ही सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई संजीव खन्ना) को लेकर की गई तीखी टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन टिप्पणियों को उनके निजी विचार बताकर खारिज कर दिया. उन्होंने अपने पोस्ट में कहा कि बीजेपी का उसके सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की देश की न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश पर की गई टिप्पणियों से कोई लेना-देना नहीं है. ये उनकी निजी टिप्पणियां हैं.

‘तो संसद और विधानसभा को बंद कर दिया जाए’

झारखंड के गोड्डा से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं. निशिकांत ने कल शनिवार को कहा था कि कानून यदि शीर्ष अदालत ही बनाएगी तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए.

सांसद निशिकांत दुबे ने कल सुप्रीम कोर्ट पर आरोप लगाया कि देश में ‘धार्मिक युद्धों को भड़काने’ के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए.

दुबे ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, “देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है. सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से परे जा रहा है. अगर किसी को हर चीज के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और राज्य विधानसभा को बंद कर दिया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा, “एक अनुच्छेद 377 था, जिसमें समलैंगिकता (Homosexuality) को बहुत बड़ा अपराध माना गया था. अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने भी माना कि इस दुनिया में केवल 2 ही सेक्स हैं, या तो पुरुष या महिला… चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, बौद्ध हो, जैन हो या सिख हो, सभी मानते हैं कि समलैंगिकता एक अपराध है.”

उन्होंने आगे कहा, “लेकिन एक सुबह, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हम इस मामले को खत्म करते हैं. संविधान का अनुच्छेद 141 कहता है कि हम जो कानून बनाते हैं, जो फैसले देते हैं, वे निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू होते हैं. अनुच्छेद 368 कहता है कि संसद को सभी तरह के कानून बनाने का अधिकार है जबकि सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का अधिकार है. शीर्ष अदालत की ओर से राष्ट्रपति और राज्यपाल से पूछा जा रहा है कि वे बताएं कि उन्हें विधेयकों के संबंध में क्या करना है.”

आप संसद को निर्देश देंगेः MP निशिकांत दुबे

उन्होंने आगे कहा, “जब राम मंदिर या कृष्ण जन्मभूमि या ज्ञानवापी के मामले आते हैं तो आप (SC) कहते हैं कि ‘हमें कागज दिखाओ’. मुगलों के आने के बाद जो मस्जिद बनी है उनके लिए कह रहे हो कि कागज कहां से दिखाओ.” निशिकांत ने आगे आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट इस देश को “अराजकता” की ओर ले जाना चाहता है.

बीजेपी सांसद ने सवाल करते हुए कहा, “आप चुने हुए प्राधिकारी को कैसे निर्देश दे सकते हैं? राष्ट्रपति देश के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं. जबकि संसद देश का कानून बनाती है. आप उस संसद को निर्देश देंगे? आपने नया कानून कैसे बना दिया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं.” उन्होंने कहा कि जब संसद बैठेगी, तो इस पर विस्तृत चर्चा होगी.

निशिकांत दुबे का यह बयान ऐसे समय आया है, जब सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है.

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