सीतापुर के कांग्रेस सांसद ने स्वीकारा ऑडियो में उनकी ही आवाज, अब CJM ने दिया ये आदेश
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सीतापुर। मुकदमा लिखे जाने के समय पीड़िता ने पुलिस को अपनी और कांग्रेस सांसद राकेश राठौर के बीच मोबाइल पर हुई बातचीत का आडियो दिया था। इस आडियो में सांसद की आवाज की वैधानिक पुष्टि के लिए सीजेएम कोर्ट की ओर से फोरेसिंक जांच के लिए आवाज का नमूना देने को नोटिस जारी की गई थी।
नोटिस के जवाब में सांसद ने स्वीकार कर लिया है कि आडियो में उनकी ही आवाज है। इसके बावजूद कोर्ट ने आवाज की जांच कराने के आदेश पर पुलिस 12 फरवरी को लखनऊ में जांच कराने उन्हें ले जाएगी।
नगर के एक मोहल्ले की विवाहिता ने कांग्रेस सांसद राकेश राठौर पर 17 जनवरी को शादी व राजनीति में करियर बनवाने का झांसा देकर दुष्कर्म का मुकदमा लिखाया था। इसमें पीड़िता ने साक्ष्य के तौर पर सांसद और अपनी वार्ता का आडियो सहित कई अन्य इलेक्ट्रानिक साक्ष्य भी दिए थे।
नगर कोतवाली पुलिस ने 30 जनवरी को सांसद राकेश राठौर को गिरफ्तार करके सीजेएम कोर्ट में पेश किया था। इसी के साथ साक्ष्य के रूप में पीड़िता की ओर दिया गया। आडियो भी कोर्ट में दाखिल किया गया था। सीजेएम कोर्ट ने सांसद को नोटिस जारी करके फोरेंसिंक जांच के लिए आवाज का नमूना देने को कहा था।
वह आवाज का नमूना देना चाहते या नहीं इसका जवाब देने की तारीख सात फरवरी तय की थी। शुक्रवार को सांसद के अधिवक्ताओं ने सीजेएम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया। इसमें सांसद ने स्वीकार किया कि आडियो में उनकी ही आवाज है।
सीजेएम ने दिया जांच के आदेश
सांसद की ओर से आडियो की आवाज स्वीकार किए जाने बाद भी सीजेएम कोर्ट ने वाइस मैचिंग के आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सांसद को आवाज का नमूना फोरिंसिंग लैब को देना होगा। क्षेत्राधिकारी नगर अमन सिंह ने बताया कि सांसद को 12 फरवरी को लखनऊ की फोरेसिंक लैब ले जाकर आवाज का नमूना लिया जाएगा। बताया कि वाइस मैचिंग तकनीकी कारणों से जरूरी है।
अभियोजन के लिए हो गई आसानी
अदालत में पीड़िता का पक्ष रख रहे अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता इसे बड़ी बात करार देते हैं। सहायक शासकीय अधिवक्ता गौरव मिश्र ने बताया कि मुकदमे की सुनवाई में ये बड़ी घटना है। इससे अभियोजन पक्ष और भी मजबूत हो गया है।
हालांकि, कानून के अन्य जानकार इसे वादी और प्रतिवादी दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण बता रहे हैं। पूर्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष मिश्र ने बताया कि सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ता इसका उपयोग कैसे करेंगे यह उनकी बहस पर निर्भर करेगा।