अनचाही बेटी से IAS तक का सफर, संजना महापात्रा के संघर्ष की कहानी सुन आंखें भर आएंगी
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महाराष्ट्र: मां बाप चाहते थे बेटा और पैदा हो गई बेटी, उस अनचाही बेटी ने बचपन से ही कठिनाईयों और परेशानियों पर जीत हासिल की और आज वही मां बाप उनके आईएएस अधिकारी होने पर गर्व से कहते हैं-हमारी बेटी है। अनचाही बेटी से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी तक का सफर तय करने वाली संजीता महापात्रा की कहानी धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ बाधाओं पर विजय पाने की कहानी है। आईएएस संजीता महापात्रा ने कुछ दिन पहले एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी कहानी बताई थी जो प्रेरणादायक है।
आईएएस संजीता महापात्रा की कहानी
महापात्रा ने बताया कि उनका जन्म ओडिशा के राउरकेला में एक गरीब परिवार में हुआ था और उनके जन्म से उनकी मां एकदम निराश हो गई थीं। क्योंकि उनकी पहले से एक बेटी थी और वे बेटा चाहती थीं लेकिन उन्हें बेटी के रूप में संजीता मिली। इस तरह से वे एक अनचाही औलाद थीं और उनके परिवार ने उन्हें लगभग छोड़ दिया था, लेकिन उनकी बड़ी बहन ने माता पिता से काफी जिद की जिसके बाद उनके माता-पिता ने उन्हें अपने पास रख लिया और फिर शुरू हुई संघर्ष की दास्तां।
महापात्रा का बचपन परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण कठिनाइयों से भरा था और उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए सामाजिक संगठनों, शिक्षकों और छात्रवृत्तियों पर निर्भर रहना पड़ा था। इसी तरह से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद, उन्हें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) में सहायक प्रबंधक की नौकरी मिल गई। परिवार को तब खुशी हुई और उन्होंने अपने माता-पिता को उनके गांव में घर बनाने में आर्थिक मदद भी की।
उन्होंने बताया कि जब मुझे सेल में नौकरी मिली तब मेरे माता-पिता को पहली बार मेरी उपलब्धियों पर गर्व हुआ। महापात्रा का सपना बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनने की थी। फिर उनकी शादी हो गई लेकिन उनके पति ने उनके सपने को पूरा करने में उनका पूरा साथ दिया और अपने पति की प्रेरणा और समर्थन से 2019 में अपने पांचवें प्रयास में संघ लोक सेवा संघ (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की। उनकी उपलब्धि पर माता पिता के साथ ही पति और ससुराल वालों को भी गर्व है।
महापात्रा अभी अमरावती जिला परिषद की सीईओ के रूप में काम कर रही हैं। महापात्रा ने कहा कि मैं अब स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं को सशक्त बनाना चाहती हूं और जिला परिषद स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना चाहती हूं। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के लिए एक विशिष्ट बाजार बनाने की भी ख्वाहिश जाहिर की है और इस दिशा में काम कर रही हैं।