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उत्तर प्रदेश

वक्फ संशोधन विधेयक को JPC की मंजूरी, सत्ता पक्ष के 14 संशोधन पारित, विपक्ष के सुझाव खारिज

वक्फ संशोधन विधेयक को JPC की मंजूरी, सत्ता पक्ष के 14 संशोधन पारित, विपक्ष के सुझाव खारिज
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सोमवार (27 जनवरी) को संयुक्त संसदीय समिति ने वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी. पिछले साल अगस्त में सदन में पेश किए गए मसौदे में 14 बदलाव किए गए हैं. भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति को कुल 66 प्रस्ताव दिए गए थे, जिनमें से 23 सत्तारूढ़ भाजपा के सांसदों द्वारा और 44 विपक्षी सदस्यों द्वारा, हालांकि, समिति के सदस्यों द्वारा पार्टी लाइन पर मतदान करने के बाद विपक्ष द्वारा प्रस्तावित बदलावों को खारिज कर दिया गया.

जेपीसी में भाजपा या सहयोगी दलों के 16 सांसद हैं और विपक्ष के केवल 10 सांसद हैं. सूत्रों ने को बताया कि 14 बदलावों की स्वीकृति की पुष्टि के लिए मतदान 29 जनवरी को होगा और 31 जनवरी तक अंतिम रिपोर्ट पेश की जाएगी. समिति को मूल रूप से 29 नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया था, लेकिन उस समय सीमा को बढ़ाकर 13 फरवरी कर दिया गया, जो बजट सत्र का अंतिम दिन भी है.

44 संशोधनों पर 6 महीने तक की गई चर्चा

जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, ” 44 संशोधनों पर चर्चा की गई. 6 महीने तक विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे. यह हमारी अंतिम बैठक थी इसलिए, बहुमत के आधार पर समिति द्वारा 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है. विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे. हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और उस पर मतदान हुआ, लेकिन उनके (सुझाए गए संशोधनों) के समर्थन में 10 वोट पड़े और इसके विरोध में 16 वोट पड़े और वो मंजूर नहीं किया गया.”

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जेपीसी को बजट सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट पेश करनी है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था. वक्फ संपत्तियों के नियमतीकरण के लिए बने वक्फ एक्ट 1995 की मिस-मैनेजमेंट, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण जैसे मुद्दों के लिए आलोचना की जाती रही है.

यह विधेयक पूरी तरह से समय के खिलाफ है: इमरान मसूद

जेपीसी की 24 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया था दावा किया कि उन्हें ड्राफ्ट में प्रस्तावित बदलावों पर रिसर्च के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया. आरोप लगाया कि बीजेपी दिल्ली चुनावों के कारण ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट को संसद में जल्दी पेश करने पर जोर दे रही है.

पिछली बैठक में हंगामे के बाद कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा था, “संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा और यह विधेयक पूरी तरह से समय के खिलाफ है. यह वक्फ की संपत्तियों को हड़पने की एक साजिश प्रतीत हो रही है और इसके माध्यम से देश में नफरत फैलाने की योजना बनाई जा रही है. हमने स्पीकर साहब से सवाल किया कि इतनी जल्दबाजी क्यों है, जबकि इस विधेयक को सत्र के आखिरी दिन, यानी 4 अप्रैल तक रखा जा सकता था. उन्हें यह आशंका है कि इस तरह की जल्दबाजी से सभी पक्षों को अपनी बात रखने का उचित समय नहीं मिलेगा.”

उल्लेखनीय है कि जेपीसी की पिछली बैठक में दौरान हंगामे के बाद 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था. निलंबित सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए. राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह नदवी, एम. अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक और इमरान मसूद शामिल थे.

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