गजब का रुतबा, अलग अंदाज, ये हैं रिश्वतखोर महिला PCS अधिकारी; ऊंची पहुंच है...इसलिए घर बैठकर बेच दिया जमीर
मथुरा में 70 हजार रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस टीम द्वारा मंगलवार को गिरफ्तार डीपीआरओ किरन चौधरी पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं। हर बार अपनी ऊंची पहुंच के बल मामला रफा-दफा होता रहा। वर्ष 2022 में ग्राम पंचायतों में लाइटें लगवाने के मामले में भी जांच बैठी थी। इसके अतिरिक्त दर्जनों बार ग्राम प्रधान उनकी शिकायत कर चुके हैं। सुल्तानपुर की रहने वाली डीपीआरओ किरन चौधरी को जुलाई 2021 से मथुरा में तैनाती मिली।
गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस टीम ने उनके थाना हाईवे स्थित इंद्रप्रस्थ कॉलोनी के आवास पर 40 मिनट तक पूछताछ की। इसके साथ ही दूसरी टीम राजीव भवन में डीपीआरओ के कार्यालय और उनके कक्ष में कागजात को खंगालती रही थी। डीपीआरओ की गिरफ्तारी की सूचना राजीव भवन में आग की तरह फैल गई। हालांकि कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। वहीं दबी जुबान डीपीआरओ और उनके चालक के रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार होने की चर्चा दबी जुबान में कर्मचारी करते रहे।
मंगलवार की सुबह जैसे ही विजिलेंस की टीम डीपीआरओ ऑफिस पहुंची। जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में अधिकारी और कर्मचारियों में अफरा-तफरी मच गई। देखते ही देखते पूरा कार्यालय कर्मचारी और अधिकारी विहीन हो गया। टीम के सदस्यों ने कार्यालय और डीपीआरओ कक्ष में कई घंटे तक कागजातों को खंगाला। कार्रवाई के दौरान उनके साथ शिकायतकर्ता झुडावई के ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राना भी साथ थे। कार्यालय में बडे़ बाबू समेत कुछ कर्मचारी ही मौजूद रहे। उन्होंने विजिलेंस को कागजात सौंपे।
अधिकारियों ने साथी चुप्पी
डीपीआरओ और उनके चालक को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार होने की सूचना के बाद जब मीडिया ने जिले के अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। यहां तक कि जिलाधिकारी सीपी सिंह ने भी इस बारे में कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। डीआईजी शैलेश कुमार पांडेय ने बताया कि डीपीआरओ के रिश्वत लेने के मामले की जानकारी हुई है, लेकिन विजिलेंस की टीम ने उन्हें किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दी। न ही डीपीआरओ के निवास स्थान पर थाना क्षेत्र में कोई सूचना दी गई। पूरा अभियान विजिलेंस ने गुप्त रखा। इसके बाद डीपीआरओ और उनके चालक को अपने साथ ले गई। दोनों को टीम कहा लेकर गई है, इसकी भी जानकारी नहीं है।