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उत्तर प्रदेश

18 सालों से मौत का सौदागर बना बैठा था दमोह का 'डॉ डेथ', डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम की दमोह अदालत में पेशी हुई. इस दौरान गुस्साए लोगों ने उसे पीटने की कोशिश की.

18 सालों से मौत का सौदागर बना बैठा था दमोह का डॉ डेथ, डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम की दमोह अदालत में पेशी हुई. इस दौरान गुस्साए लोगों ने उसे पीटने की कोशिश की.
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दमोह के मिशन अस्पताल में खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर मरीजों का इलाज करने वाले फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम अब सलाखों के पीछे पहुंच चुका है. इसी के बाद उसके काले करतूत सामने आने लगे हैं. पता चला है इस फर्जी डॉक्टर ने 18 सालों से मौत का खेल जारी रखा हुआ है. फिलहाल तो उस पर डेढ़ महीने में 15 ऐसी सर्जरी करने का आरोप है जिनमें से सात मरीजों की मौत हो गई.

फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम को आज अदालत में पेश किया था. जहां से कोर्ट ने उसे 5 दिनों की पुलिस रिमांड में भेज दिया.जहां उससे पुलिस उसके पूरे करियर के दौरान किए गए ऑपरेशन और डिग्री के बारे में पूछताछ करेगी. दमोह कोर्ट में उसकी पेशी के दौरान नाराज लोगों ने उसे पीटने की भी कोशिश की लेकिन पुलिस ने उसे किसी तरह से बचा लिया. सरकारी वकील सतीश कपास्या का कहना है कि उसके पास कोई डिग्री नहीं थी लेकिन उसने अपने आप को डॉक्टर बता कर फर्जी ऑपरेशन किए हैं. जिससे 7 लोगों की मौत हुई है. यहां लोगों की नाराजगी नाजायज नहीं लगती. क्योंकि इस फर्जी डॉक्टर ने चाहे गरीब हो, पुलिस अधिकारी हों या फिर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ही क्यों न हों सभी को अपना शिकार बनाया. उसने न सिर्फ मरीजों की जान ली बल्कि सिस्टम को भी ठगा है.

पोर्टेबल ईको मशीन भी कर ली चोरी

जो सीसीटीवी फुटेज हाथ लगी हैं, वो इस शातिर ठग की कहानी खुद बयां करती हैं. ये शख्स अस्पताल में कभी अकेला नहीं आता था. उसे साथ हमेशा एक बाउंसर होता था जो एक सूटकेस उठाए चलता था. अस्पताल का दावा है कि इसी सूटकेस में पोर्टेबल ईको मशीन भी थी – जो आज गायब है. इसकी चोरी की शिकायत दमोह कोतवाली में दर्ज हो चुकी है. मिशन अस्पताल के प्रभारी प्रबंधक पुष्पा खरे ने इसकी पुष्टि की है. डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम पकड़े जाने से पहले आखिरी बार 11 फरवरी 2025 को दिखा था. तब वो एक होटल से निकलते वक्त CCTV में कैद हुआ था.अब ये भी जान लीजिए कि उसने कहां-कहां से डिग्री लेने का दावा किया था जो फर्जी निकला.

महिला डॉक्टर के नाम पर है रजिस्ट्रेशन !

हालांकि मेडिकल काउंसिल के रिकॉर्ड कुछ और ही बताते हैं. MBBS रजिस्ट्रेशन एक महिला डॉक्टर के नाम पर है और बाकी डिग्रियों का कोई प्रमाण नहीं. Andhra Pradesh Medical Council का रिकॉर्ड भी संदिग्ध है. खुद दमोह के SP श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया है कि जो डिग्री पेश की गई है वो नकली लग रही है, ऐसा लग रहा है इसे मॉर्फ किया गया है. सोमवंशी के मुताबिक आरोपी का मोबाइल, टैब, ईमेल – सब कुछ जांच के घेरे में है. वो बीते कई सालों से फर्जी तरीके से काम कर रहा है. हम जांच कर रहे हैं कि उसने कहां से काम सीखा, कहां-कहां काम किया. मेडिकल टर्म्स के आधार पर उससे सवाल किए जाएंगे.

साल 2006 में पता चल गया था फर्जी डिग्री का

मिशन अस्पताल - इस फर्जी सर्जन का पहला मिशन नहीं था. अगस्त 2006 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी डॉक्टर ने किया था. उस ऑपरेशन के बाद 8 मरीजों की मौत हुई थी. तब भी जांच में यह सामने आया कि उसके पास सिर्फ एक एमबीबीएस डिग्री है – और वो भी फर्जी! यानी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन.जॉन कैम बीते 18 साल से मौत का खेल खेल रहा है. ऐसे में सवाल सिर्फ एक शख्स का नहीं – सवाल पूरे सिस्टम का है.

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