20 साल से एक ही जिले में जमे हैं सहायक शिक्षा निदेशक के बाबू मनोज मिश्रा, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

वाराणसी।बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षा निदेशक कार्यालय के पटल सहायक मनोज मिश्रा पिछले 20 वर्षों से वाराणसी में जमे हुए हैं, जो स्थानांतरण नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन है। इस दौरान उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। हाल ही में दर्ज एफआईआर के अनुसार, मनोज मिश्रा और अन्य कर्मियों पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्तियां कराने, वित्तीय अनियमितताओं और अवैध उगाही में लिप्त होने के आरोप हैं।
स्थानांतरण नियमावली का उल्लंघन
उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक स्थानांतरण नीति के अनुसार, किसी भी कर्मी को एक ही जिले में तीन से पाँच वर्ष से अधिक नहीं रखा जा सकता, विशेष परिस्थितियों में ही उच्चाधिकारियों की अनुमति से अवधि बढ़ाई जा सकती है। बावजूद इसके, मनोज मिश्रा दो दशकों से वाराणसी में अपनी तैनाती बनाए रखने में सफल रहे, जो गंभीर सवाल खड़े करता है।
भ्रष्टाचार के आरोप और जांच
एफआईआर के मुताबिक, मनोज मिश्रा समेत संजीव सिंह, संतोष कुशवाहा और अन्य कर्मियों ने फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए शिक्षकों की नियुक्ति कराई और आर्थिक लाभ उठाया। शिकायतकर्ता अजीत प्रसाद ने न्यायालय की शरण लेकर इनके विरुद्ध कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद चोलापुर थाने में मामला दर्ज हुआ।
अब प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो न केवल कानूनी कार्रवाई होगी, बल्कि शिक्षा विभाग के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी कठोर कदम उठाए जा सकते हैं। इस घटना ने शिक्षा विभाग की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
एडी बेसिक उमेश शुक्ला सें पूछने पर उनके द्वारा बाताया कि इस विषय पर कोई जानकारी नहीं।