RPF सिपाही भर्ती परीक्षा में पकड़ा गया सॉल्वर गैंग, प्रयागराज में ब्लूटूथ से कराई जा रही थी नकल

प्रयागराज। रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) द्वारा आयोजित आरपीएफ सिपाही भर्ती परीक्षा में सेंध लगाने वाले सॉल्वर राजीव कुमार उर्फ राजू वर्मा और परीक्षार्थी सुजीत कुमार मौर्या को गिरफ्तार किया गया है। इनके कब्जे से सिम डिवाइस सहित कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, शैक्षणिक अभिलेख, बैंक पासबुक, चेकबुक, फर्जी अंकपत्र समेत अन्य सामग्री बरामद की गई है।
दोनों आरोपित वाराणसी के जनसा बाजार के निवासी हैं। उनके खिलाफ सरायइनायत थाने में परीक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
बताया गया है कि आरआरबी की ओर से आरपीएफ सिपाही की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सोमवार को आयोजित की गई थी। इसके लिए सरायइनायत थाना क्षेत्र के अंदावा स्थित सुनीता सिंह सीता सिंह महाविद्यालय को परीक्षा केंद्र बनाया गया था। परीक्षा के दौरान एक अभ्यर्थी कान में सिम डिवाइस लगाकर पेपर सॉल्व कर रहा था।
यह देख दूसरे अभ्यर्थियों ने नाराजगी जताते हुए हंगामा शुरू कर दिया था। सूचना मिलते ही सरायइनायत पुलिस मौके पर पहुंची और फिर कक्ष निरीक्षक की मदद से अभ्यर्थी सुजीत कुमार मौर्या को पकड़ लिया। जांच में उसके कान से सिम डिवाइस मिली। कड़ाई से पूछताछ में सॉल्वर गैंग के शामिल होने का पता चला।
तब थानाध्यक्ष संजय गुप्ता, एसओजी प्रभारी सुखचैन तिवारी, दारोगा सूर्य प्रकाश सिंह समेत अन्य की टीम पूरे मामले का पर्दाफाश करने में जुट गई। इसके बाद सॉल्वर राजीव कुमार को भी दबोच लिया गया। मंगलवार दोपहर पुलिस लाइन सभागार में डीसीपी गंगानगर कुलदीप सिंह गुनावत, आइपीएस विश्वजीत, एसीपी ने अभियुक्तों को मीडिया के सामने पेश किया।
सॉल्वर और परीक्षार्थी वाराणसी के रहने वाले हैं
बताया कि सुजीत और राजीव वाराणसी में एक ही स्थान के रहने वाले हैं। राजीव जनसा बाजार में कपड़े की दुकान भी संचालित करता है। वह लाइब्रेरी वाले स्थान पर बैठकर छात्रों को झांसे में फंसाता था। इसी दौरान उसका सुजीत से संपर्क हुआ तो पांच लाख रुपये में पास कराने की डील हुई। एक लाख रुपये और शैक्षणिक अभिलेख लेकर सुजीत को सिम डिवाइस (मक्खी) दे दिया। फिर सोमवार को दोनों परीक्षा केंद्र पर पहुंचे। राजीव गूगल के माध्यम से प्रश्न का उत्तर देखकर सुजीत को सॉल्व करवा रहा था।
बीएड की परीक्षा मामले में गया था जेल
पुलिस ने बताया कि हाईस्कूल पास अभियुक्त राजीव ने अपने बयान में कहा है कि वह बीएड की परीक्षा में भी एक अभ्यर्थी को पेपर सॉल्व करवाते हुए पकड़ा गया था। तब उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। छह माह तक जेल में रहने के बाद वह बाहर आया। हालांकि पुलिस उसके बयान का सत्यापन करवा रही है। यह भी पता लगा रही है कि राजीव गैंग को अकेले आपरेट कर रहा था या कुछ और भी लोग इसमें शामिल हैं।
फर्जी मार्कशीट कहां से बनी, होगी जांच
डीसीपी गंगानगर ने बताया कि अभियुक्त के कब्जे से नौ फर्जी मार्कशीट बरामद की गई है। अब यह पता लगाया जाएगा कि यह फर्जी मार्कशीट कैसे बनी और इसके बनाने में कौन-कौन लोग शामिल हैं। सॉल्वर के मोबाइल की कॉल डिटेल रिपोर्ट निकलवाकर भी इसकी जांच की जाएगी, ताकि फर्जी मार्कशीट बनाने के नेटवर्क में शामिल लोगों पर कार्रवाई की जा सके। अभियुक्त ने ब्लूटूथ, सिम डिवाइस, डिवाइस वायरलेस बाउफिंग को ऑनलाइन खरीदा था।
यह हुई बरामदगी
सिम डिवाइस लगा एक मक्खी ब्लूटूथ, नौ फर्जी अंकपत्र, सात वास्तविक अंकपत्र, चार चेक बुक व एसबीआइ, यूनियन बैंक के 77 चेक, एक डिवाइस वायरलेस, चार शपथपत्र, तीन मोबाइल, एक पर्स, एक चेक पोस्ट आफिस, तीन पासबुक, एक उद्यम रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और एक निवास प्रमाण पत्र बरामद किया गया है।
पूछताछ में पता चला है कि राजीव डील करने के बाद अभ्यर्थी का शैक्षणिक प्रमाण पत्र अपने पास रखवा लेता था। इसके बाद उसके पास होने पर पैसा लेकर प्रमाण पत्र वापस कर देता था।