दिल्ली: ट्रेन हादसे में महज 4 साल की छोटी उम्र में अपने दोनों हाथों और दाहिने पैर की अंगुलियां गंवा बैठने वाली शीला शर्मा ने आस नहीं छोड़ी और उन्होंने अपने दूसरे पैर की अंगुलियों की मदद से खुद को लिखने और चित्रकारी में प्रशिक्षित किया।
लखनऊ की 48 वर्षीय शीला शर्मा अपने पैर और मुंह की मदद से नियमित रूप से विचारशील कलाकृतियां बनाती हैं। उनकी हाल की कुछ कलाकृतियां यहां विकलांग कलाकारों की सामूहिक प्रदर्शनी में प्रदर्शित की गयी हैं। 'द गिफ्टेड' नामक यह प्रदर्शनी यहां मेट्रोपोलिटन होटल में आर्ट स्पाइस गैलरी द्वारा प्रस्तुत की गयी है। प्रदर्शनी 4 सितंबर तक चलेगी।
शीला का कहना है कि वह प्रकृति या महिला पर आधारित विषयों पर चित्रकारी बनाती हैं। वैसे यह काम श्रमसाध्य होता है लेकिन वह रंगों का मिश्रण, तूलिका की साफ-सफाई और कैनवास को इधर-उधर करना समेत सारे काम खुद करती हैं। वह कहती हैं, 'मेरे पिता को कला कभी वाकई समझ में नहीं आयी और वह चाहते थे कि मैं कोई सुरक्षित काम हाथ में लेती लेकिन मैं इसे अपना जीवन बनाना चाहती थी।' हादसे में अपने हाथ गंवाने के बाद उनकी जिंदगी कई मायनों में बदल गयी। इस हादसे में उनकी मां चल बसीं।
शीला कहती हैं कि जब वह अपने सपने और जुनून के पीछे जुट गयी थी तब उन्हें ढेरों आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोगों को उनकी चित्रकार का काम अजीब लगा। उन्होंने कहा, 'लोग मुझसे कहते थे कि यह तुम्हें कहीं नहीं ले जाएगा।' लेकिन वह बतौर चित्रकार अपना करियर बनाने के लिए मुश्किलों से लोहा लेती रहीं।
भाषा