यूपी विधानसभा चुनाव में केवल राजनेता ही अपने भविष्य को लेकर चिंतित नही हैं, बल्कि प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी भी भविष्य संवारने की जुगाड़ में लग गई है। तेजतर्रार आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और पीपीएस अधिकारी इस काम में अभी से इस बात की थाह ले रहे कि ऊंट किस करवट बैठने वाला है और उसी हिसाब से जोड़-तोड़ में जुटे हैं।
कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए ऊंट किसी भी करवट बैठे, लेकिन उनको फर्क नहीं पड़ता। वे हर सरकार में अपनी गोट फिट रखते हैं। बहरहाल, देखने वाली बात यह होगी कि किनका सितारा बुलंदी पर चढ़ता है और किसके सितारे गर्दिश में जाते हैं।यूपी की ब्यूरोक्रेसी में कुछ ठोस तथ्यों के आधार पर तो कोई सर्वे के आधार पर और कोई सटोरियों की मान कर.. सत्ता में आने वाली संभावित पार्टी के नेताओं से सेटिंग में लग गए हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि चंद अफसरों को छोड़ दिया जाए तो ब्यूरोक्रेसी पार्टी के हिसाब से बंटी हुई है। हां, इतना तो तय है ही कि कुछ प्राइम पो¨स्टग पाएंगे तो कुछ साइड लाइन किए जाएंगे।
कई अफसरों ने तो ज्योतिषियों से परामर्श किया है कि किस पार्टी के ग्रह अच्छे हैं और कौन सी पार्टी सत्ता में आ सकती है। कौन पार्टी और कौन नेता उनके लिए फायदेमंद साबित होंगे। कुछ अफसर सत्तारूढ़ दल के गठबंधन को ही दोबारा सत्ता में आने की बात मानकर चल रहे हैं। लिहाजा उसी के मुताबिक बड़े नेताओं से संपर्क साधा जा रहा है। तो कुछ अधिकारी वर्तमान के साथ-साथ संभावित अन्य राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं को भी विश्वास दिला रहे हैं कि वे उनके अपने हैं। इसी तरह कुछ अफसरों को भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती दिखाई दे रही है।
इसीलिए उनमें भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री का नाम जानने की जिज्ञासा जाग उठी है। वे कयास लगा रहे हैं और पार्टी सूत्रों को टटोला जा रहा है कि कौन मुख्यमंत्री होगा? कोई बहुजन समाज पार्टी की संभावित सरकार मानकर दिल्ली से लौटने की फिराक में है। कई ऐसे भी हैं कि बहिन जी की सरकार आता मानकर दिल्ली जाने का मन बना रहे हैं। उन्हें डर सता रहा है कि उनके आते ही सरकार की नज़रें उन पर टेढ़ी न हो जाएं।