जनता की आवाज का बड़ा खुलासा : शिवप्रसाद की रणनीति के आगे हैं बौने अखिलेश – प्रो. राम गोपाल, यादव बेल्ट से सपा का हो सकता है सफाया – प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

Update: 2017-02-17 11:27 GMT

इटावा, जनता की आवाज के संपादक आज यादव बेल्ट के तमाम लोगों से सुबह से ही बात कर रहे हैं। वहाँ सपा और बसपा की क्या स्थिति है? जीत और हार के कौन-कौन से कारक काम कर रहे हैं ? इस बातचीत से एक ऐसा रहस्य उभर कर सामने आया, यदि उसके अनुसार वोटिंग हो गई, तो यादव बेल्ट से समाजवादी पार्टी का सूपड़ा साफ हो जाएगा । अब मैं उस रहस्य को उजागर कर रहा हूँ । मुलायम सिंह यादव को शिकस्त देने वाले शिवप्रसाद इस बार बिधुना से चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हे अभी से 2019 मे कन्नौज संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव के खिलाफ लड़ने के लिए भी कह दिया है। बिधुना जीतने के बाद उन्हे यह परितोषिक मिलेगा। उसके लिए शिवप्रसाद यादव ने फिर वही कार्ड खेला है, जिस कार्ड से उन्होने मुलायम सिंह जैसे दिग्गज नेता को परास्त किया था। इस बार वह कार्ड उन्होने सिर्फ बिधुना सीट पर ही नहीं खेला है, बल्कि पूरे यादव बेल्ट मे खेला है। जिसकी वजह से यादव दो खेमों मे बंट गया है। वह दो खेमे हैं – घोषी और कमहरिया । लोगों ने बताया कि मुलायम सिंह यादव और उनका परिवार कमहरिया खेमे से आता है। उन्होने राजनीति मे इस बेल्ट के कमहरिया खेमे को ही आगे बढ़ाया। जबकि उनकी संख्या भी कम है । घोषी खेमे को आगे बढ़ने नहीं दिया। उनकी उतनी ही मदद की, जिससे वह वह राजनीति के बहुत ऊपर तक न जा सके। शिव प्रसाद यादव एवं उनकी घोषी टीम पिछले तीन महीने से इन लोगों के बीच मे  छोटी-छोटी मीटिंग करके उन्हे अपने पक्ष मे कर लिया है। उन्होने इस बात को समझा दिया है कि आप लोगों का राजनीतिक विकास सिर्फ बहन मायावती ही कर सकती हैं। इसकी खबर अखिलेश और प्रो. राम गोपाल को न हो, ऐसा नहीं है। शिवप्रसाद का मुक़ाबला शिवपाल ही करते थे, उनही के पास उनकी काट थी, यदि क्षेत्रीय जनता की बातों पर विश्वास करें, तो अखिलेश और प्रो. राम गोपाल ने शिवपाल के खिलाफ इतने षड्यंत्र कर दिये हैं कि वे अपनी विधानसभा से बाहर जाने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहे हैं। शिवपाल को घेरने का कितना खामियाजा उन्हे उठाना पड़ेगा। इन्हे 11 मार्च के बाद पता चलेगा।

अखिलेश और प्रो. राम गोपाल के लिए सिर्फ एक ही राहत की बात है कि इस क्षेत्र का पढ़ा लिखा युवा यादव समाज के इस विभाजन पर विश्वास नहीं करता है। यदि अपने युवा नेताओं के माध्यम से घर-घर, मोहल्ले-मोहल्ले जाकर इस विभाजन के खिलाफ मुहिम चलाएं, तो शायद ही कुछ बात बन जाए। लेकिन अब उनके पास समय भी नहीं बचा है। यदि इस यादव बेल्ट मे अखिलेश यादव हारते हैं, तो उसका दोष भले वे शिवपाल को दें, लेकिन उसके पीछे शिव प्रसाद की यह रणनीति है। यदि शिवप्रसाद यादव कामयाब हो गए, तो यादव बेल्ट की अधिकांश सीटों पर सपा को हार मिल सकती है ।

 

– प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

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