लखनऊ - किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर में शाम भीषण आग से पहले अफरातफरी फिर भगदड़ मच गई और तीमारदार अपने अपने मरीजों को लेकर इधर-उधर भागने लगे। इसी दौरान हमीरपुर की रहने वाली एक महिला मरीज की मौत हो गई। कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। मरीजों को आनन-फानन पास के कई अस्पतालों में शिफ्ट किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाने और जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
घटनाक्रम के मुताबिक आग सेकेंड फ्लोर स्थित एडवांस ट्रामा लाइफ सपोर्ट (एटीएलएस) वार्ड में लगी और देखते ही देखते विकराल होकर तीसरे फ्लोर पर मेडिसिन स्टोर तक पहुंच गई। हर तरफ धुंआ और लपटों के बीच डाक्टर जान बचाने के लिए बीच में ही आपरेशन छोड़कर भाग गए। किसी तरह तीमारदारों ने स्ट्रेचर पर लादकर अपने मरीजों को चीखते-चिल्लाते नीचे उतारा और ट्रामा सेंटर के बाहर सड़क पर स्ट्रेचर पर मरीजों की कतारें लग गई। इसके बाद मरीजों को लारी कार्डियोलॉजी, शताब्दी अस्पताल के फेज एक व फेज दो, केजीएमयू के गांधी वार्ड में शिफ्ट किया गया। यहां पर मरीज फुल होने पर सिविल व बलरामपुर अस्पताल भेजा जाने लगा। करीब चार सौ मरीज शिफ्ट किए गए।
आधा दर्जन गाडिय़ां काबू पाने में नाकाम
ताजा जानकारी के मुताबिक आग पर दमकल की आधा दर्जन गाडिय़ां काबू पाने में नाकाम साबित हो रहीं थी। कर्मचारियों ने किसी तरह खिड़कियों के शीशे तोड़कर धुंए को बाहर निकाला। दहशत में मरीज व उनके तीमारदार और ट्रामा सेंटर का स्टाफ बुरी तरह चीखने चिल्लाने लगा। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की जांच तीन दिन के भीतर मंडलायुक्त लखनऊ से करने और लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में आग दूसरी मंजिला पर बनी एटीएलएस यूनिट से शुरू हुई। यहां प्लास्टिक के बेड व मैनीक्विन रखी थीं। प्लास्टिक का सामान होने के कारण आग बहुत तेजी से फैली। आग ने ग्राउंड फ्लोर, पहली मंजिल व दूसरी मंजिल को अपनी गिरफ्त में ले लिया। तीसरी मंजिल पर ट्रामा वेंटीलेटर यूनिट (टीवीयू)में अत्यंत गंभीर मरीज थे इन्हें किसी तरह बचाया गया। वहीं जिस फ्लोर पर आग लगी उसमें आर्थोपेडिक विभाग, मेडिसिन विभाग व न्यूरो सर्जरी विभाग शामिल है। आग चौथे व पांचवे फ्लोर पर न पहुंचे इसके लिए कड़ी मशक्कत की गई। एनआइसीयू, क्रिटिकल केयर यूनिट व आईबैंक को सील किया गया। मौके पर 108 व 102 नंबर एंबुलेंस से लगातार मरीज शिफ्ट किए गए।
टांका खुला छोड़कर भागे डाक्टर
बलरामपुर जिले से आई सुनीता के आंतो का आपरेशन हुआ था कि अचानक आग लग गई यहां पर डाक्टर टांका खुला छोड़कर ही भाग गए। इसके बाद सुनीता का पति राम दशरथ उसे गोद में उठाकर किसी तरह जान बचाकर नीचे आया। वहीं रैन बसेरे में बस्ती की प्रमिला खाना बनाने आई थी और उसकी पंद्रह दिन की बेटी एनआइसीयू में चौथे फ्लोर पर भर्ती थी। वह अपने बेटे की देखरेख में बेटी को छोड़कर आई थी। आग लगने के बाद जब वह बेटे का फोन मिला रही थी तो वह उठ नहीं रहा था।
सीएम योगी ने दिए जांच के आदेश
लखनऊ के किंग जाॅर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्राॅमा सेंटर में आग लगने से पहले अफरातफरी और फिर भगदड़ जैसे हालात बनने की घटना का तत्काल संज्ञान लेते हुए राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मण्डलायुक्त लखनऊ को घटना की जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए दोषी व्यक्तियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए जिससे उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सके। इस प्रकार की घटना की भविष्य में पुनरावृत्ति न हो इसके लिए संस्तुतियां दी जाएं।
आग का कारण, तैयारी और तत्परता
वहीं केजीएमयू के सीएमएस एसएन शंखवार ने बताया कि आग शार्ट सर्किट से लगी है। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। फिलहाल अग्निशमन और पुलिस की टीम के साथ रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम राहत और बचाव कार्य में देर रात तक जुटे रहे। एक जानकारी के मुताबिक आग से हमीरपुर की सरस्वती देवी आग के बाद मची भगदड़की चपेट में आकर मौत के मुंह में चली गई। सूत्रों के मुताबिक इस महिला को ट्रामा सेंटर से राम मनोहर लोहिया अस्पताल शिफ्टकिया जा रहा था। पुलिस ने भी आग शार्ट सर्किट बताया है। इसकी सूचना १९:२० बजे चौक फायर कंट्रोल रूम को मिली।सूचना मिलते ही चौक अलीगंज और हजरतगंज के एक दर्जन से अधिक दमकल की गाड़ियों को मौके पर रवाना किया गया। वहीं हजरतगंज से क्रेन और हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म की मदद से दमकल कर्मियों ने आग पर पर काबू पाने के लिए रहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। करीब तीन घंटे तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका था। जिलाधिकारी कौशल राज और एसएसपी दीपक कुमार और केजीएमयू वीसी ने भी मौके पर पहुंच कर मरीजों की हालत का जायजा लिया।
पहले भी लग चुकी आग
एटीएलएस
फिजियोलाजी
बाल रोग विभाग
पैराप्लीजिया विभाग
पैथोलॉजी विभाग
गांधी वार्ड
सांसत में रही मरीजों की जान
केजीएमयू में आग लगने का यह मामला पहला नहीं है। इसे पहले भी यहां पर कई बार आग लग चुकी है।केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग की प्रयोगशाला में इसी साल मई महीने में आग लगी थी। भीषण धुंआ निकलने से काम कर रहे डॉक्टर व कर्मचारी घबराकर जान बचाने के लिए भागे। इसकी वजह से वहां भगदड़ मची थी। उस समय भी एअर कंडीशन में शार्ट सर्किट से आग लगने की आशंका जाहिर की गई थी। आग बुझाने के इंतजाम न होने से कर्मचारी घबरा गए थे। केजीएमयू के बाल रोग विभाग, पैराप्लीजिया विभाग, पैथोलॉजी, गांधी समेत दूसरे वार्डों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। इसके बावजूद केजीएमयू को आग से बचाने के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। अफसरों की हीलाहवाली से मरीजों की जान सांसत में रही है।
नहीं काम आए अग्निशमन यंत्र
ट्रामा सेंटर में आग लगने के करीब 20 मिनट बाद फायर बिग्रेड पहुंची। आग लगते ही ट्रामा के कर्मचारी व तीमारदारों ने किसी तरह अग्निशमन यंत्र से आग बुझाने की कोशिश की लेकिन, वह किसी काम नहीं आए। ट्रॉमा की दूसरी मंजिल पर बनी एटीएलएस यूनिट में प्लास्टिक के बेड व मैनीक्विन रखी थीं। इस कारण आग बहुत तेजी से फैली। आग ने ग्राउंड फ्लोर, पहली मंजिल व दूसरी मंजिल को अपनी गिरफ्त में ले लिया। तीसरी मंजिल पर ट्रामा वेंटीलेटर यूनिट (टीवीयू) में अत्यंत गंभीर मरीज थे, जिन्हें किसी तरह बचाया गया। जिस फ्लोर पर आग लगी उसमें आर्थोपेडिक विभाग, मेडिसिन विभाग व न्यूरो सर्जरी विभाग शामिल हैं। आग चौथे व पांचवे फ्लोर पर न पहुंचे इसके लिए कड़ी मशक्कत की गई।