योगी सरकार में भी कानून-व्यवस्था से असंतुष्ट राज्यपाल राम नाईक का कहना है कि अभी इसमें सुधार करने की आवश्यकता है। हालांकि, उनका मानना है कि कानून-व्यवस्था सुधारने की दिशा में जो संकल्प होना चाहिए वह योगी सरकार में दिख रहा है। योगी सरकार पर किसी तरह की टिप्पणी न करते हुए राज्यपाल का कहना है कि छह माह गुजरने के बाद ही नई सरकार के कामकाज का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। नाईक ने कहा कि जवाबदेही व पारदर्शिता के मद्देनजर वह तीसरे वर्ष के कामकाज को भी राजभवन में राम नाईक नाम से 124 पेज की पुस्तक के रूप में पेश कर रहे हैं। यह पुस्तक हिंदी और उर्दू में आएगी। राज्यपाल के तौर पर शेष दो वर्ष के कार्यकाल में उनका लक्ष्य उत्तर प्रदेश को सर्वोत्तम प्रदेश बनाने का है।
शनिवार को राजभवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में नाईक ने पिछले एक वर्ष के दौरान अपने कार्यकलापों का जिक्र किया। कहा, अखिलेश सरकार रही हो या फिर योगी सरकार, दोनों ही सरकारें मेरी हैं। उस सरकार में भी राज्य की कानून व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता थी और मौजूदा में भी लेकिन, नई सरकार के कामकाज का मूल्यांकन करने के लिए उसे छह माह का समय देना चाहिए। नाईक ने कहा कि अखिलेश यादव से उनके व्यक्तिगत संबंध अच्छे थे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी हैं। अखिलेश भी मिलने आते थे और योगी भी मिलते रहते हैं। हालांकि, अखिलेश सरकार द्वारा उनके ज्यादातर सुझावों व पत्रों पर कार्रवाई न करने का जिक्र करते हुए नाईक ने कहा कि अखिलेश की कठिनाई पर जनता जवाब दे चुकी है। अब उन्हीं पत्रों पर योगी सरकार द्वारा उचित कार्रवाई की जा रही है। राम नाईक ने विश्वास जताया कि योगी सरकार जनता की आकांक्षाओं को सर्वांगीण विकास के माध्यम से पूरा करेगी। नाईक ने कहा कि तीन वर्ष पहले मैंने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की बात कही थी लेकिन, सत्ता परिवर्तन के बाद अब शेष दो वर्ष में इसे सर्वोत्तम प्रदेश बनाने का लक्ष्य है, जिसके लिए सरकार को प्रोत्साहन देता रहूंगा।
छात्रसंघ चुनाव के पक्ष में हूं
राज्यपाल ने कहा कि वह छात्रसंघ चुनाव के पक्षधर हैं। पिछले दिनों कुलपतियों की बैठक में इस पर चर्चा भी हुई। कुछ ने इससे अशांति फैलने की आशंका जताई है लेकिन, इस दिशा में विचार चल रहा है। शैक्षिक सत्र नियमित होने के बाद अब विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए 15 अगस्त तक कार्रवाई शुरू हो जाएगी। एक सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति में नियम-कानून का पूरा ख्याल रखा गया है। चूंकि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है इसलिए वह कुछ और नहीं कहेंगे। नौ कुलपति नियुक्ति किए हैं। दो कार्यवाहक के स्थान पर भी जल्द नियमित कुलपति नियुक्ति किए जाएंगे। भ्रष्टाचार के चलते प्रो. मुन्ना सिंह को बर्खास्त किया गया है और निलंबित कुलसचिव प्रो. यूएस तोमर के मामले में भी जल्द निर्णय होगा।
टोका-टाकी बिना चर्चा का मजा नहीं
बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष के रुख पर विपक्षी दलों द्वारा विधानसभा सदन के बहिष्कार पर राज्यपाल ने कहा कि विधानसभा के अंदर का मामला होने के कारण इसमें मेरा रोल ज्यादा नहीं है लेकिन, विपक्ष की गैर मौजूदगी में सत्ता पक्ष के लिए चर्चा का मजा ही नहीं है। विपक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। विपक्ष की टोका-टाकी जरूरी है लेकिन, विरोध में इस तरह सदन के बॉयकाट पर विचार करना चाहिए।
...और अब वह राष्ट्रपति और मैं राज्यपाल
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ काम करने का जिक्र करते हुए राम नाईक ने कहा कि जब वह भाजपा की अनुशासन समिति के अध्यक्ष थे तब कोविंद उस समिति में सदस्य थे। हंसते हुए कहा कि आज वह राष्ट्रपति हैं और मैं राज्यपाल। राष्ट्रपति भवन में राम नाईक के सवाल को टालते हुए नाईक ने बताया कि 25 जुलाई को कोविंद के शपथ ग्रहण में वह और मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे। राज्यपाल ने बताया कि उनकी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, गुजराती के बाद अब संस्कृत, बंगाली के साथ जर्मन भाषा में भी प्रकाशित होगी।