उत्तर प्रदेश की सियासत किस करवट बैठ रही है? इसका अंदाजा सोमवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान से लगाया जा सकता है.
रक्षाबंधन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने पार्टी के विधानपरिषद सदस्यों के इस्तीफे पर कहा, 'बुरे वक्त में मेरे साथ कौन है? उसका भी ये इम्तिहान है.' अखिलेश के बयान से स्पष्ट है कि पार्टी के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है और कुछ विधायक साइकिल की सवारी छोड़ सकते हैं.
अखिलेश ने कहा कि जो पार्टी छोड़ कर जा रहे हैं, उन पर कोई दबाव होगा. लेकिन पार्टी छोड़ने वाले ये बहाना न करें कि समाजवादी पार्टी में उनका दम घुट रहा था. ऐसे लोग पार्टी छोड़ने का कोई मजबूत बहाना ढूढ़ें.अखिलेश ने कहा कि बीजेपी से दूर रहने वाला हर कोई भू माफिया है. लेकिन जब वह बीजेपी में आ जाए तो सब पाक-साफ हो जाते हैं.
दरअसल विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ दिख रहा है. इस दौरान दो मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के पास सबसे बड़ी चुनौती अपने विधायकों को बचाए रखने की है. लेकिन हाल के राजनीतिक घटनाक्रम इशारा कर रहे हैं विधानपरिषद में भी बीजेपी तेजी से संख्या बढ़ाने में जुट गई है.
पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के तीन समाजवादी पार्टी के 3 एमएलसी और बसपा के एक एमएलसी का इस्तीफा इसी तरफ इशारा कर रहा है. अब बीजेपी के सूत्रों के अनुसार इस्तीफों का ये दौर आगे भी जारी रहने वाला है. जनमाष्टमी से पहले सपा के 5 एमएलसी और बसपा का एक एमएलसी इस्तीफा दे सकते हैं. वे लागतार बीजेपी के संपर्क में हैं.
पिछले हफ्ते समाजवादी पार्टी के तीन प्रमुख नेताओं बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह और डॉ सरोजनी अग्रवाल ने विधानपरिषद सदस्य से इस्तीफा दिया था. वहीं बसपा से ठाकुर जयवीर सिंह ने भी इस्तीफा दिया और बीजेपी ज्वाइन कर ली थी.
उधर बहुजन समाज पार्टी के लिए चुनौती दो तरफ से आ रही है. पार्टी से निष्कासित एमएलसी नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने नया मोर्चा राष्ट्रीय बहुजन गठबंधन को बनाने की कवायद तेज कर दी है. इसके तहत बसपा सुप्रीमो मायावती के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी है. यही नहीं नसीमुद्दीन सिद्दीकी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह उन नेताओं को गठबंधन से जोड़ें, जो पार्टी से या तो निकाले जा चुके हैं या असंतुष्ट हैं.