नई दिल्ली: बीएसपी छोड़कर आए स्वामी प्रसाद मौर्य 8 अगस्त को बीजेपी में शामिल होंगे. उनके साथ कुछ बीएसपी के विधायक भी बीजेपी में जा सकते हैं. दरअसल ये तो तभी तय हो गया था कि स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी में जाएंगे जब बीएसपी छोड़ने के बाद उनके और समाजवादी पार्टी के बीच तल्खियां खुलकर सामने आ गई थीं.
उसी के बाद मौर्य दिल्ली आए थे और उनकी बीजेपी नेताओं से मुलाकात भी हुई थी. स्वामी प्रसाद मौर्य का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मौर्य समाज के लोगों में अच्छा दबदबा है.
खुद को मानते हैं चंद्रगुप्त मौर्य का वंशज
यादव, कुर्मी और लोध के बाद पिछड़ी बिरादरी में सबसे बड़ा जाति समूह है. ये लोग खुद को चंद्रगुप्त मौर्य का वंशज मानते हैं. मान्यता ये भी है कि मौर्य लोग भगवान राम के बेटे कुश के वंशज हैं. इन्हें खुद को क्षत्रिय कहलाना पसंद है. इसके लिए आंदोलन तक कर चुके हैं.
यूपी में इस जाति समूह में मौर्य, कुशवाहा, सैनी, शाक्य, काछी और मुराव जातियां आती हैं. इनकी आबादी करीब 8 फीसदी के आसपास है. बिहार, मध्य प्रदेश के अलावा हिंदी भाषी कई राज्यों में इस जाति समूह के लोग हैं.
मौर्य समाज शुरुआती दिनों में कांग्रेस के साथ रहा फिर सोशलिस्टों के साथ गए. लेकिन सबसे पहले इनकी ताकत का एहसास कराया बीएसपी के संस्थापक कांशीराम ने.
दलितों को बीएसपी ने आधार वोट बनाया जबकि मौर्य, कुशवाहा और कुर्मी को स्टेपनी वोट बैंक के रूप में जोड़ा. उन दिनों सोनेलाल पटेल, बाबू सिंह कुशवाहा और स्वामी प्रसाद मौर्य कांशीराम के साथ घूमा करते थे. अब बीजेपी इसी फार्मूले पर चल रही है.
यूपी में बदल रहा है सूरतेहाल
मौर्य-कुशवाहा को साधने के लिए ही बीजेपी ने बिहार में उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ गठबंधन किया था. उपेंद्र कुशवाहा अभी मोदी सरकार में मंत्री हैं.
एक दशक पहले लव-कुश ने मिलकर यादव बिरादरी के दबदबे को खत्म कर दिया था. कुर्मी-कोईरी ने बदल दी थी. इस बार यूपी में भी सूरतेहाल बदल रहा है. राजनीति के नए तौर-तरीके बदलने को तैयार है.
यूपी की मजबूत पिछडी जातियों की बात करें तो यादव समाज मुलायम के पीछे खड़ा है. कुर्मियों के लिए बेनी प्रसाद वर्मा और अनुप्रिया पटेल हैं. तो मौर्य समाज को भी लग रहा है कि क्यों न केशव प्रसाद मौर्य के पीछे चला जाए.
उसी के बाद मौर्य दिल्ली आए थे और उनकी बीजेपी नेताओं से मुलाकात भी हुई थी. स्वामी प्रसाद मौर्य का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मौर्य समाज के लोगों में अच्छा दबदबा है.
खुद को मानते हैं चंद्रगुप्त मौर्य का वंशज
यादव, कुर्मी और लोध के बाद पिछड़ी बिरादरी में सबसे बड़ा जाति समूह है. ये लोग खुद को चंद्रगुप्त मौर्य का वंशज मानते हैं. मान्यता ये भी है कि मौर्य लोग भगवान राम के बेटे कुश के वंशज हैं. इन्हें खुद को क्षत्रिय कहलाना पसंद है. इसके लिए आंदोलन तक कर चुके हैं.
यूपी में इस जाति समूह में मौर्य, कुशवाहा, सैनी, शाक्य, काछी और मुराव जातियां आती हैं. इनकी आबादी करीब 8 फीसदी के आसपास है. बिहार, मध्य प्रदेश के अलावा हिंदी भाषी कई राज्यों में इस जाति समूह के लोग हैं.
मौर्य समाज शुरुआती दिनों में कांग्रेस के साथ रहा फिर सोशलिस्टों के साथ गए. लेकिन सबसे पहले इनकी ताकत का एहसास कराया बीएसपी के संस्थापक कांशीराम ने.
दलितों को बीएसपी ने आधार वोट बनाया जबकि मौर्य, कुशवाहा और कुर्मी को स्टेपनी वोट बैंक के रूप में जोड़ा. उन दिनों सोनेलाल पटेल, बाबू सिंह कुशवाहा और स्वामी प्रसाद मौर्य कांशीराम के साथ घूमा करते थे. अब बीजेपी इसी फार्मूले पर चल रही है.
यूपी में बदल रहा है सूरतेहाल
मौर्य-कुशवाहा को साधने के लिए ही बीजेपी ने बिहार में उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के साथ गठबंधन किया था. उपेंद्र कुशवाहा अभी मोदी सरकार में मंत्री हैं.
एक दशक पहले लव-कुश ने मिलकर यादव बिरादरी के दबदबे को खत्म कर दिया था. कुर्मी-कोईरी ने बदल दी थी. इस बार यूपी में भी सूरतेहाल बदल रहा है. राजनीति के नए तौर-तरीके बदलने को तैयार है.
यूपी की मजबूत पिछडी जातियों की बात करें तो यादव समाज मुलायम के पीछे खड़ा है. कुर्मियों के लिए बेनी प्रसाद वर्मा और अनुप्रिया पटेल हैं. तो मौर्य समाज को भी लग रहा है कि क्यों न केशव प्रसाद मौर्य के पीछे चला जाए.