लखनऊ : पांच दिन पहले मुख्यमंत्री कार्यालय से राजभवन को भेजे जिस एक पत्र ने समाजवादी परिवार में संकट की नींव डाली थी, शुक्रवार को समाधान का रास्ता भी उसी पत्र के इर्द-गिर्द कई सवाल लिये घूमता रहा। दरअसल, सोमवार को मुख्यमंत्री ने खनन मंत्री गायत्री प्रजापति व पंचायतीराज मंत्री राजकिशोर सिंह को बर्खास्त किया था। शुक्रवार को सिर्फ गायत्री की बहाली होने पर खूब सवाल उठे।
शुक्रवार दोपहर को जैसे ही सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने गायत्री प्रजापति की बहाली का एलान किया, कार्यकर्ताओं में खुसफुसाहट शरू हो गयी थी। शाम होते-होते यह खुसफुसाहट सोशल मीडिया, वाट्सएप आदि तक भी पहुंच गयी। लोगों का कहना था कि गायत्री के खिलाफ खनन माफिया को संरक्षण देने के साथ गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने से लेकर कई गुना संपत्ति बढ़ने तक के आरोप हैं। राजकिशोर के खिलाफ भी ऐसे ही आरोप हैं। ऐसे में सिर्फ एक की वापसी सवाल खड़े करती है। कहा गया कि गायत्री हटाए जाने के तत्काल बाद न सिर्फ मुलायम सिंह, राम गोपाल व शिवपाल, सभी की शरण में गए, बल्कि शुक्रवार सुबह से ही शिवपाल के साथ नजर आने लगे थे। इसके विपरीत राजकिशोर इस दौरान दिखाई नहीं दिये।