कहां तो तय था गाजे बाजे के संग अखिलेश यादव 3 अक्टूबर से सजे धजे बसनुमा रथ पर सवार होकर चुनाव प्रचार पर निकलेंगे. टीम अखिलेश तैयारियों में जुटी थी लेकिन उस से पहले ही नेताजी ने पहले 'शिवपाल बम' फोड़ा और फिर अमर अंकल की ताजपोशी कर दी. टीम अखिलेश के कई चेहरे पार्टी से बाहर कर दिए गए.
अब भला अखिलेश यादव किस मुंह से चुनाव प्रचार करने निकलते. विरोधियों की छोड़िये अभी तो लड़ाई अपने घर और परिवार में छिड़ी है. इसीलिए अखिलेश ने 3 अक्टूबर से प्रचार के श्रीगणेश का इरादा छोड़ दिया है. उन्होंने अपने करीबी नेताओं के संग मीटिंग में कहा "अभी निकलना ठीक नहीं है, मैसेज अच्छा नहीं जाएगा". बर है कि अखिलेश एक ज्योतिषी के संपर्क में भी है. एक शुभ मुहूर्त ढूंढा जा रहा है जिसके बाद ही अखिलेश यादव बस पर सवार होकर राज्य के दौरे पर निकलेंगे.
जब चाचा और भतीजे के बीच तनातनी उफान पर थी उस वक्त दोनों के समर्थक लखनऊ में एक दुसरे को देख लेने के मूड में थे. मुलायम सिंह अचानक समाजवादी पार्टी ऑफिस पहुंचे और एलान कर दिया " मैं 6 अक्टूबर से आजमगढ़ में रैली कर चुनाव प्रचार शुरू करूंगा." सूत्रों की माने तो मुलायम की ऐसी 18 रैलियां होंगी. मुलायम सिंह आजमगढ़ को बड़ा शगुन मानते है. 2012 के विधानसभा चुनाव में भी प्रचार की शुरुआत उन्होंने आज़मगढ़ से की थी. अब तो नेताजी यहां के लोक सभा सांसद भी है.
मुलायम सिंह की रैली को भव्य बनाने का बीड़ा शिवपाल यादव ने उठाया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही उन्होंने तैयारी के लिए लखनऊ में बैठक भी बुला ली. शिवपाल ने कौन कितनी बस लाएगा इसके साथ ही टेंट से लेकर कुर्सियां लाने तक का काम बांट दिया गया है.
आपको याद दिला दें कि घर में मचे घमासान के बीच अखिलेश यादव ने ट्वीट कर 3 अक्टूबर से चुनाव प्रचार पर जाने की जानकारी दी थी. अखिलेश ने अपने इस प्रदेश दौरे को 'समाजवादी विकास रथ यात्रा' नाम दिया था. अखिलेश ने इस रथ की एक फोटो भी ट्वीट की थी. 'विकास से विजय की ओर' नारे के साथ निकलने वाले रथ को सजाने का काम आख़िरी दौर में था. लेकिन अब तो अखिलेश को इंतजार करना होगा मुलायम सिंह की हरी झंडी का. क्या पता मुलायम सिंह कब और कहां किस रोल में आ जाएँ. अखिलेश भी अक्सर कहते हैं कि "मैं समझ ही नहीं पाता हूं कब वे पिता बन जाते है और कब नेताजी"