मुलायम सिंह के कुनबे में घमासान के चलते सपा की चुनावी तैयारियां थम गई हैं। कुछ मामलों में तो ये रिवर्स गियर में पहुंच गई हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी विकास रथयात्रा स्थगित हो चुकी है। 10 सितंबर से शुरू हुई युवजन सभा की मुलायम संदेश रथयात्रा विशेष प्रभाव नहीं छोड़ पाई।
दूसरे चरण की रथयात्रा रविवार से शुरू होनी थी लेकिन इसे भी रोकना पड़ा। आजमगढ़ से 6 अक्तूबर को होने वाले चुनाव अभियान का श्रीगणेश भी टल गया है। सपा में प्रत्याशी चयन से लेकर संगठनात्मक गतिविधियां ठहरी हुई हैं।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। साढ़े चार साल से ज्यादा समय से सूबे की बागडोर संभाल रहे अखिलेश यादव के लिए सरकार के रिपोर्ट कार्ड के साथ अब चुनावी संग्राम में जाने का वक्त है।
सियासी संग्राम में जाने से पहले ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के परिवार में संग्राम शुरू हो गया। चुनावी साल में स्थिति यहां तक पहुंच गई कि मुलायम ने अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर यह जिम्मेदारी वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव को सौंप दी।
इसकी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ने शिवपाल के सभी महत्वपूर्ण छीन लिए। मामला बढ़ा तो शिवपाल ने मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे दे दिए। हालांकि उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए लेकिन अखिलेश व शिवपाल समर्थक सड़कों पर आ गए।
मुख्यमंत्री के समर्थन में सपा के चारों युवा संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सपा मुख्यालय और मुलायम सिंह के आवास पर उग्र प्रदर्शन किए। मुलायम सिंह के हस्तक्षेप के बाद पीडब्लूडी को छोड़कर शिवपाल को अन्य विभाग वापस मिल गए लेकिन परिवार में शांति कायम नहीं हो सकी है।
वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। साढ़े चार साल से ज्यादा समय से सूबे की बागडोर संभाल रहे अखिलेश यादव के लिए सरकार के रिपोर्ट कार्ड के साथ अब चुनावी संग्राम में जाने का वक्त है।
सियासी संग्राम में जाने से पहले ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के परिवार में संग्राम शुरू हो गया। चुनावी साल में स्थिति यहां तक पहुंच गई कि मुलायम ने अखिलेश को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर यह जिम्मेदारी वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव को सौंप दी।
इसकी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ने शिवपाल के सभी महत्वपूर्ण छीन लिए। मामला बढ़ा तो शिवपाल ने मंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे दे दिए। हालांकि उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं हुए लेकिन अखिलेश व शिवपाल समर्थक सड़कों पर आ गए।
मुख्यमंत्री के समर्थन में सपा के चारों युवा संगठनों के कार्यकर्ताओं ने सपा मुख्यालय और मुलायम सिंह के आवास पर उग्र प्रदर्शन किए। मुलायम सिंह के हस्तक्षेप के बाद पीडब्लूडी को छोड़कर शिवपाल को अन्य विभाग वापस मिल गए लेकिन परिवार में शांति कायम नहीं हो सकी है।