पावर शो के ल‌िए तैयार चाचा-भतीजे, द‌िखाएंगे अपनी-अपनी ताकत

Update: 2016-11-02 10:50 GMT
परिवार में मचे घमासान के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव का खेमा पार्टी में अपनी पकड़ साबित करने के लिए तैयार है। अखिलेश बृहस्पतिवार 3 नवंबर को लामार्टीनियर ग्राउंड से धूम-धड़ाके के साथ 'समाजवादी विकास रथयात्रा' शुरू करने जा रहे हैं तो शिवपाल 5 नवंबर को जनेश्वर मिश्र पार्क में पार्टी के रजत जयंती समारोह के बहाने भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का अहसास कराने को तैयार हैं।
सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का रजत जयंती समारोह में शामिल होना लगभग तय माना जा रहा है लेकिन अखिलेश की रथयात्रा की शुरुआत के मौके पर उनकी मौजूदगी को लेकर संशय बना हुआ है।

हालांकि अखिलेश बाकायदा पत्र लिखकर मुलायम को अपने रथयात्रा कार्यक्रम की सूचना दे चुके हैं लेकिन मंगलवार को अचानक सपा सुप्रीमो दिल्ली चले गए। इसके बाद उनके इसमें शामिल होने को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है।

रथयात्रा की शुरुआत पर रामगोपाल यादव की मौजूदगी से तय होगा कि मुलायम और शिवपाल इसमें शामिल होंगे या नहीं। अगर अखिलेश रामगोपाल को बुलाते हैं तो सपा प्रमुख व शिवपाल इससे दूरी बना सकते हैं।
'होर्डिंग्स से शिवपाल गायब'

राजधानी में शक्ति प्रदर्शन का माहौल साफ नजर आ रहा है। प्रमुख सड़कें बड़ी-छोटी होर्डिंग्स आदि से पट गई हैं। अखिलेश की थयात्रा के होर्डिंग्स से शिवपाल गायब हैं तो शिवपाल समर्थकों द्वारा लगाई गई होर्डिंग्स में अखिलेश नहीं दिख रहे हैं।

सपा में शक्ति प्रदर्शन के लिए बिसातें बिछ गई हैं। अब बस 'शो' की शुरुआत होनी बाकी है। मुख्यमंत्री पहले ही एलान कर चुके हैं कि वह 5 नवंबर को पार्टी के रजत जयंती समारोह में शामिल होंगे।

दूसरी तरफ शिवपाल भी कह चुके हैं कि अगर अखिलेश की तरफ से न्यौता मिलता है तो वह रथयात्रा में शामिल होंगे। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री सपा प्रमुख मुलायम से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्हें रथयात्रा में शामिल होने का निमंत्रण देंगे जबकि शिवपाल को पत्र भेजकर निमंत्रण की औपचारिकता निभाएंगे।

शिवपाल खेमे के सूत्रों का कहना है कि अगर अखिलेश की तरफ से निमंत्रण मिलता है तो शिवपाल इसमें शामिल हो सकते हैं। रथयात्रा के मौके पर मुलायम और शिवपाल की मौजूदगी काफी कुछ रामगोपाल पर निर्भर करेगी। मुलायम ने रामगोपाल को पार्टी से निकाल दिया है। ऐसे में वह उनके साथ मंच साझा करेंगे इसकी उम्मीद कम ही है।

अगर रामगोपाल इस मौके पर मौजूद नहीं रहते हैं तो मुलायम और शिवपाल शामिल हो सकते हैं। अखिलेश ने अपनी इस यात्रा को 'विकास से विजय की ओर' नाम दिया है।
अखिलेश की टीम मेगा शो की तैयारी मेंसीएम अखिलेश की युवा
टीम रथयात्रा के जरिये पहले दिन मेगा शो करने की तैयारी में है। इसे अखिलेश समर्थकों के लिए ताकत दिखाने का पहला बड़ा मौका माना जा रहा है। इसमें पूरे प्रदेश से कार्यकर्ताओं को बुलाया गया है।

अकेले ही रथ पर सवार होकर निकलेंगे अखिलेश
देखने वाली बात यह होगी कि अखिलेश की इस रथयात्रा को सपा मुखिया समेत पार्टी के वरिष्ठ और पुराने नेताओं का कितना समर्थन मिलता है। यह भी कि अखिलेश के साथ रथयात्रा में कितने बड़े नेता शामिल होते हैं।

वैसे संभावना यही है कि मुख्यमंत्री अकेले ही रथ पर सवार होकर निकलेंगे और जगह-जगह छोटी सभाएं तथा लोगों से सीधा संवाद करके अपनी सरकार की उपलब्धियां बताकर फिर से सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगेंगे। पहले चरण में अखिलेश लखनऊ के शहीद पथ के रास्ते उन्नाव और शुक्लागंज तक जाएंगे। रथयात्रा का अगला चरण 5 नवंबर के बाद होगा।

जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट के सदस्य व मंत्री राजेंद्र चौधरी का कहना है कि रथयात्रा कई चरणों में पूरे प्रदेश में जाएगी। मुख्यमंत्री अपनी सुविधा के हिसाब से सरकारी काम निपटाने के लिए बीच-बीच में विराम भी लेंगे।
रजत जयंती समारोह पर होगी सबकी निगाहें
फिलहाल जहां लोगों की नजरें अखिलेश की रथयात्रा पर टिकी हैं वहीं रजत जयंती समारोह पर भी सबकी निगाहें हैं। माना जा रहा है कि रजत जयंती समारोह में विधानसभा चुनाव के लिए एक बार फिर महागठबंधन की बुनियाद खड़ी हो सकती है।

इस बार महागठबंधन में लोहियावादी, चरणसिंहवादी और गांधीवादी नेताओं को एक मंच पर लाने की पहल शिवपाल यादव की तरफ से हुई है। शिवपाल ने यह कदम उन परिस्थितियों में उठाया है जब उनकी पार्टी के भीतर ही उनके कद को भतीजे अखिलेश की ओर से चुनौती मिल रही है।

शिवपाल इस महागठबंधन के जरिये अपना सियासी अस्तित्व बचाने के साथ-साथ पार्टी पर अपनी पकड़ भी साबित करने की कोशिश में है। शायद यही वजह है कि रजत जयंती समारोह को कामयाब बनाने के लिए टीम शिवपाल ने पूरी ताकत झोंक दी है। शिवपाल रजत जयंती समारोह में भारी भीड़ जुटाकर यह संदेश देना चाहते हैं कि वह अखिलेश पर भारी हैं।

उन्होंने महागठबंधन को खड़ा करने की पहल ऐसे समय की है जब उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और युवा पीढ़ी ने बतौर प्रदेश अध्यक्ष उनके नेतृत्व को नकार दिया है। शिवपाल अपने ही भतीजे और सीएम अखिलेश से दो-दो हाथ करने के बाद सरकार से बाहर होकर पार्टी को विधानसभा चुनावों में दोबारा जिताने की जद्दोजहद में जुटे हैं।

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