आजम और अमर की कमी अखरी

Update: 2016-11-06 03:49 GMT

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह में यूं तो भीड़ की कमी नहीं थी। जनेश्वर मिश्र पार्क में उमड़े समर्थकों को देखकर नेतृत्व को भले ही सुकून रहा हो परंतु संस्थापक सदस्य और पार्टी में मुस्लिम चेहरा आजम खां और अमर सिंह जैसे नेताओं की गैरहाजिरी सबको अखरी। विधानसभा चुनाव से पहले आंतरिक कलह में उलझी समाजवादी पार्टी रजत जयंती और विकास रथयात्र के जरिए माहौल बनाने में लगी है। ऐसे में पार्टी के दिग्गज नेताओं का दूरी बनाए रखना चर्चा का मुद्दा बना है। खासकर आजम खां, जो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की विकास रथयात्र की रवानगी कराने के लिए गत तीन नवंबर को लखनऊ नहीं पहुंचे बल्कि रामपुर में डटे रहे।

उम्मीद की जा रही थी कि आजम खां पार्टी के 25 वें वर्ष में प्रवेश करने पर आयोजित जश्न में जरूर शामिल होंगे। सपाइयों की निगाहें आजम को तलाश करती रही परंतु निराशा ही हाथ लगी। अहम बात यह रहीं कि स्थापना दिवस पर किसी भी वक्ता ने आजम का नाम लेकर उनको याद करना भी मुनासिब न समझा। बता दें कि सपा में कलह शुरू होने के बाद आजम द्वारा मुस्लिम वोटों को लेकर दिए तल्ख बयान को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है।

आजम के अलावा अमर सिंह का गैरहाजिर रहना भी चर्चा में है। पार्टी में अमर सिंह की वापसी भले ही हो गयी परंतु मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनको पसंद नहीं करते और आतंरिक कलह का जिम्मेदार ठहराते हैं। माना जा रहा है कि अमर सिंह के पक्ष में मुलायम सिंह व शिवपाल सिंह मजबूती से खड़े हों, लेकिन अखिलेश की नाराजगी को देखते हुए उन्हें समारोह से दूर रखा।

रामगोपाल बिन समारोह : समाजवादी पार्टी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब थिंकटैंक कहे जाने वाले प्रो. रामगोपाल यादव कार्यक्रम से दूर हो। हालांकि सपा निष्कासित रामगोपाल से मुख्यमंत्री की नजदीकियां बरकरार हैं। रामगोपाल के पुत्र व फीरोजाबाद क्षेत्र से सांसद अक्षय यादव अखिलेश की रथयात्र कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

बेनी वर्मा को बोलने का मौका नहीं : सपा के संस्थापक सदस्य व पूर्व मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा को भी रजत जयंती पर अपने उद्गार व्यक्त करने का अवसर न मिल सका। बेनी के अलावा विशिष्ट अतिथि संतोष भारती भी संबोधन से वंचित रहें।

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