केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देशहित और कालाधन जमाखोरी खत्म करने के लिए 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला कहीं शादी तोड़ रहा है तो कहीं इलाज के आभाव में लोग दम तोड़ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में 500 और 1000 न लेने की वजह से इलाज के आभाव में एक बच्चे की मौत हो गई. जनपद के सबसे बड़े प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए 500 और 1000 हजार के नोट नही लेने पर एक सात माह के मासूम बच्चे की मौंत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा काटा.
फिलहाल जिला प्रशासन अस्पताल द्वारा की गई लापरवाही की जांच में जुट गई है.
मामला जिले के सरायलखंशी थाने के फातिमा अस्पताल का हैं. जहां पर जिले के ही हलधरपुर थाने के सिधवल गांव के निवासी शिवबली गिरी की बेटी अपने सात माह के मासूम बच्चे का इलाज करवाने के लिए भर्ती हुई थी. चिकित्सकों ने बच्चे को निमोनिया रोग से ग्रसित बताते हुए आकस्मिक विभाग में भर्ती कर लिया. साथ ही परिजनों को दवा सहित अस्पताल के अन्य नियम कानूनों का पालन करने का आदेश दिया. लेकिन जब दावा लेने काउंटर पर गए तो पांच-पांच सौ रुपये के नोट लेने से मना कर दिया. जिसके बाद परिजन खुल्ले पैसे के इंतजाम में जुट गए लेकिन जब तक पैसों का इंतजाम होता तन तक मासूम ने दम तोड़ दिया.
जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करना शुरु कर दिया. परिजनों ने आऱोप लगाया कि सुबह ही दवा खत्म हो गई थी. दवा के लिए काउन्टर पर पांच सौं का नोट दिया गया, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया. किसी तरह से इंतजाम कर रुपये की व्यवस्था की गई. तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बच्चे की इसी बीच मौंत हो गई.
हंगामें की सूचना मिलते ही मौंके पर सिटी मजिस्ट्रेट और सिओ सिटी फोर्स बल के साथ पहुचें और मामलें को शान्त कराया. सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि सरकार के इस फैसले का सबकों ही सहयोग करना पड़ेगा. पांच सौं आर हजार के नोट के चक्कर में थोङी बहुत कमीयां आ रही हैं वो दो चार दिन में खत्म हो जायेगी. अगर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने आती है तो जांच करा कर कार्यवाई की जायेगी.