डोनाल्ड ट्रंप या हिलेरी क्लिंटन? वोटिंग में इन पांच बातों पर निर्भर करेगा फैसला
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की मजबूत दीवार में दरार पैदा करना चाहते हैं जबकि हिलेरी क्लिंटन विपक्षी ट्रम्प के गढ़ में बढ़त की उम्मीद बनाए हुई हैं। दोनों ही उम्मीदवार राष्ट्रपति चुनाव 2016 के आखिरी समय में फ्लोरिडा, पेन्सिलवैनिया और नॉर्थ कैरोलिना में जोर आजमाइश कर रहे हैं। फिलहाल, दोनों उम्मीदवारों का ध्यान उत्तरी राज्यों पर लगा हुआ है जहां मिशीगन और पेनसिल्वेनिया में उन्हें रैलियां करना बाकी है।
ट्रम्प की जीत का फार्मूला: नॉर्थ कैरोलिना और एरिजोना स्टेट ट्र्म्प की जीत के लिए रास्ता गढ़ सकते हैं। इन दोनों राज्यों में ट्रम्प की पकड़ मजबूत मानी जा रही है। साल 2012 के चुनावों में यहां से मिट रोमनी जीत चुके हैं। इनके अलावा बराक ओबामा का गढ़ समझे जानेवाले तीन राज्य-फ्लोरिडा, ओहियो और आयोवा में भी वो कड़ी टक्कर दे सकते हैं। हालांकि, इन राज्यों में से किसी में अगर ट्रंप लड़खड़ाए तो 270 इलेक्टोरल वोट पाने की उनकी मुहिम को धक्का लग सकता है। ट्रंप का 9 घंटे के भीतर 5 राज्यों में चुनाव प्रचार का कार्यक्रम है जिनमें डेमोक्रेटिक पार्टी के दबदबे वाले राज्य भी शामिल हैं। चुनाव पूर्व हालिया सर्वेक्षणों के आधार पर डोनल्ड ट्रंप को लग रहा है कि उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी के गढ़ माने जाने वाले राज्यों में भी जीत मिल सकती है। अनुमान है कि ट्रंप को न्यू हैम्पशायर से 4, नेवाडा से 6, कोलेराडो से 9 मिशिगन से 15 और पेन्सिलवैनिया से 20 इल्केटोरल वोट मिल सकते हैं।
क्लिंटन की जीत का फार्मूला: हिलेरी क्लिंटन के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि क्या वो डेमोक्रेट्स का गढ़ समझे जाने वाले ग्रेट लेक की समीपवर्ती राज्यों पेन्सिलवैनिया, मिशिगन और वॉशिंगटन में अपनी नीली दीवार को बचाए रख पाती हैं या नहीं? ट्रंप लगातार वहां घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं लेकिन क्लिंटन ने लगातार इन राज्यों में बढ़त बरकरार रखी है। अगर क्लिंटन ने नॉर्थ कैरोलिना, फ्लोरिडा और ओहियो में से किसी भी राज्य से अपना चुनावी रथ निकालने में कामयाब रहती हैं तो उनका व्हाइट हाउस पहुंचना तय है।
निर्णायक भूमिका में लैतिन मतदाता और युवा :अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावों में लैतिन वोटरों की बड़ी भूमिका है। इनके अलावा नए मतदाता बने युवा भी खेल में अहम खिलाड़ी साबित हो सकते हैं। माना जा रहा है कि हिलेरी क्लिंटन महिला वोटरों, कॉलेज जानेवाले शिक्षित युवाओं और लैतिन मतदाताओं पर पकड़ रखती है। शुक्रवार को नेवाडा और फ्लोरिडा में हुए चुनावों में भी इसकी झलक दिखी जब 57000 लैतिन लोगों ने वहां वोट किया। इसके अलावा अधिकांश नए युवा मतदाता ट्रंप को पसंद नहीं करते। महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी की वजह से भी महिलाएं ट्रंप से कट सकती हैं।
क्या ट्रंप के पास साइलेन्ट बहुमत है : ट्रंप के पास गोरों खासकर बिना कॉलेज डिग्री वाले गोरों का एकमुश्त वोट है। यह ट्रंप के लिए बड़ी ताकत है। ट्रंप के भाषणों की वजह से भी कुछ निर्दलीय वोटरों के साथ-साथ डेमोक्रेट वोटरों की भी झुकाव हुआ है जो ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी का समर्थन करते हैं। लेकिन ये सभी चुनाव के दिन ही अपना जादू दिखा पाएंगे। हालांकि, ट्रंप पहले ही आयोवा में बढ़त की घोषणा कर चुके हैं। अब उन्हें पेन्सिलवैनिया और मिशिगन में भी जीत का भरोसा है। ट्रंप के लिए मिशिगन हाल के दिनों में एक आकर्षक लक्ष्य के रूप में उभरा है।
अफ्रीकी मूल के वोटर्स का रुख: इस बार के चुनाव का सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या साल 2008 और साल 2012 के चुनावों की तरह अफ्रीकी मूल के अमेरिकी मतदाताओं का झुकाव डेमोक्रेट्स उम्मीदवार की तरफ होगा या नहीं? अगर इसका जबाव नहीं है तो यह क्लिंटन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। खासकर फ्लोरिडा और नॉर्थ कैरोलिना राज्यों में। हालांकि ओबामा क्लिंटन को अश्वेत मतदाताओं का भरोसा दिलाने में मदद कर रहे हैं।