रविदास जंयती पर काशी पहुंचे तीन लाख रैदासी; देश-विदेश के अनुयायियों ने लगाए जयकारे
संत शिरोमणि गुरु रविदास की जयंती बुधवार को उनकी जन्मस्थली सीरगोवर्धनपुर में मनाई जाएगी। गुरु चरणों का रज माथे लगाने के लिए रैदासियों की भीड़ उमड़ेगी। देश-विदेश से आए अनुयायी गुरु की बंदगी करेंगे।
तीन लाख से अधिक अनुयायी संत रविदास के दर्शन करने पहुंचेंगे। इससे पहले जयंती की पूर्व संध्या पर मंगलवार की शाम 2100 दीपों से रविदास पार्क जगमगा उठा। संत निरंजन दासके प्रतिनिधि संत मनदीप दास ने संत प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
गोवर्धनपुर का पूरा इलाका करीब एक सप्ताह से गुरुवाणी से गूंज रहा है। मंगलवार को देर रात तक संत रविदास मंदिर में दर्शन के लिए कतार लगी रही। संगत के आने का सिलसिला रात तक चला।
सुबह मंदिर में संत रविदास मंदिर चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन संत निरंजन दास महाराज की अगुवाई में निशान ध्वज फहराया जाएगा। इसके साथ ही मेला शुरू हो जाएगा। सुबह से रात तक दर्शन के लिए अनुयायियों का रेला उमड़ा रहेगा। वहीं, भजन कीर्तन, सत्संग और लंगर का सिलसिला भी चलेगा। संत निरंजन दास ने सत्संग सभा स्थल जाकर तैयारियों का जायजा लिया।
सफाई, पीने के पानी और मोबाइल टॉयलेट का प्रबंध हो बेहतर
मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, सीपी मोहित अग्रवाल, डीएम एस राजलिंगम ने जयंती पर रविदास मंदिर में होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों का निरीक्षण किया। मंडलायुक्त ने नगर निगम के अफसरों को निर्देश दिए कि पूरे परिक्षेत्र में उचित साफ-सफाई, मोबाइल टॉयलेट्स, पीने के पानी का उचित प्रबंध रहे।
खाद्य सुरक्षा विभाग को हाइजीन व खान-पान की उचित गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। पुलिस को पार्किंग की और सुरक्षा व्यवस्था बेहतर रखने के निर्देश दिए। यात्रियों के ठहरने के उचित प्रबंध के साथ महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया।
पब्लिक एड्रेस सिस्टम के उचित संचालन के साथ पुलिस बल की उचित तैनाती सुनिश्चित करने को कहा। अफसरों ने निरीक्षण के दौरान संत रविदास मंदिर में शीश नवाया गया और संत निरंजन दास से मुलाकात की। इस दौरान अपर पुलिस आयुक्त डॉ. एस चनप्पा, नगर आयुक्त अक्षत वर्मा, सीडीओ हिमांशु नागपाल, एडीएम सिटी आलोक वर्मा समेत अन्य मौजूद रहे।
काशी में गुरु की 5 निशानियां बयां कर रहीं उनकी कहानियां
संत रविदास के जन्मस्थल पर उनकी पांच निशानियां मौजूद हैं। उनकी हर निशानियां अलग-अलग कहानी है। ये निशानियां भक्ति आंदोलन को दर्शाती हैं। ऑल इंडिया आदिधर्म मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य भारत भूषण दास ने बताया कि संत रविदास की जन्म स्थली सीरगोवर्धन के अलावा मैदागिन, गुरु रविदास पंचायती चबूतरा कॉरिडोर चौक, कबीरचौरा, राजघाट, लहरतारा आदि इलाकों में भी उनसे जुड़े स्थल हैं। संत रविदास की निशानी देश के कई प्रांतों में मौजूद हैं।
मीराबाई को दिया था उपदेश : मीराबाई संत रविदास से मिलने मैदागिन पहुंचीं थीं। गुरु ने उन्हें ज्ञान दीक्षा दी थी। तब मीराबाई ने कहा-'गुरु मिले रविदास मैं सास घर न जाऊं', फिर वह उनकी शिष्या बन गई।
...तब सदना बन गया था फकीर : श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पास गुरु रविदास पंचायती चबूतरा था। संत रविदास के प्रभाव को रोकने और इस्लाम स्वीकार करने के लिए सिकंदर शाह लोदी ने अपने संदेशवाहक सदना को काशी में इसी स्थान पर भेजा था। यहां गुरु का संदेश सुनकर सदना खुद फकीर बन गया था।
कबीरचौरा पर करते थे बैठकी : संत रविदास और कबीर दोनों गुरु रमानंद के शिष्य थे। वे कबीरचौरा पर बैठकी और सत्संग करते थे। लोगों को गुरु के संदेश और धर्म पर गहन चर्चा करते थे। इसी के बाद इस क्षेत्र का नाम कबीरचौरा पड़ गया।
...शिकारी से हिरणी की बचाई थी जान : कबीर की जन्मस्थली लहरतारा में भी संत रविदास ने तपस्या की थी। तब यह पूरा इलाका जंगल था। संत रविदास जंगल में तपस्या कर रहे थे, तभी शिकारी से बचने के लिए हिरणी उनके पास आकर छिप गई थी। शिकरी गुरु के भाव से नतमस्तक हो गया।
गंगा में तैरा दिया था पत्थर : संत रविदास ने राजघाट पर धर्म परीक्षा दी थी। काशी के कर्मकांडियों ने संत रविदास के पूजा करने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने रविदास जी को चुनौती दी थी कि अगर आप पत्थर में भगवान को देखते हैं तो इसे गंगा में तैराकर दिखाए। उन्होंने राजघाट पर गंगा में पत्थर तैराकर दिखाया था।
संत की सोच बेगमपुरा जैसी
गुरु रविदास मंदिर राजघाट में रविदास जन्मोत्सव समारोह के दूसरे दिन लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार के बेटे डॉ. अंशुल अभिजित ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि संत रविदास की सोच बेगमपुरा जैसे आधुनिक भारत की थी जहां कोई भेदभाव नहीं है।
दी रविदास स्मारक सोसाइटी के महासचिव रतन लाल भगत ने कहा कि बाबू जगजीवन राम संत रविदास के अनन्य भक्त थे। यह मंदिर समतामूलक समाज की संकल्पना का प्रतीक है। समारोह में सर्वश्री रतन लाल भगत, वीरेंद्र कुमार, मदन भगत, मनोज कुमार, डॉ. जयशंकर जय किशन भगत, पुजारी रामबिलास दास, धीरज माली, मोहित राय और अनुज यादव आदि उपस्थित रहे।