गंगाजल की शुद्धता पर सवाल उठाती सीपीसीबी की रिपोर्ट खुद सवालों के घेरे में आ गई
महाकुंभ नगर। गंगाजल की शुद्धता पर सवाल उठाती सीपीसीबी की रिपोर्ट खुद सवालों के घेरे में आ गई है। यह बहस तेज हो गई है कि संगम का जल स्नान योग्य है या नहीं।
जहां सीपीसीबी ने जल प्रदूषण को लेकर चेतावनी दी है, वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय, बीएचयू के प्रोफेसर, आध्यात्मिक गुरु आचार्य जयशंकर और पद्मश्री मोती विज्ञानी डॉ. अजय सोनकर का कहना है कि संगम का जल पूरी तरह से सुरक्षित और स्वच्छ है।
संगम में गंगा जल स्नान योग्य है
इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर्यावरण अध्ययन केंद्र के प्रभारी प्रो. उमेश कुमार सिंह ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की उस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं, जिसमें संगम पर गंगा जल को स्नान के लिए अनुपयुक्त बताया गया था। रिपोर्ट को संदेहास्पद बताते हुए यह दावा किया है कि संगम में गंगा जल स्नान योग्य है।
उन्होंने कहा कि सीपीसीबी ने फीकल कोलीफार्म की मात्रा को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है। सीपीसीबी को अपने डेटा के स्रोत को स्पष्ट करना चाहिए।
रिपोर्ट में कई विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि उनके अध्ययन के अनुसार गंगा जल में घुलित ऑक्सीजन (डीओ) तथा जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) के स्तर संतोषजनक हैं।
क्या है सीपीसीबी की रिपोर्ट का दावा?
सीपीसीबी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि प्रयागराज में गंगा जल में फीकल कोलीफार्म (मानव और पशु अपशिष्ट से उत्पन्न बैक्टीरिया) की मात्रा मानक स्तर से अधिक हो गई है, जिससे नदी का प्रदूषण स्तर बढ़ गया है।
इस रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद प्रो. सिंह कहते हैं कि इसके आंकड़े वास्तविकता से मेल नहीं खाते। डेटा देखा तो पाया कि डीओ का स्तर अच्छा है और बीओडी भी उचित सीमा में है।
सीपीसीबी को नमूने फिर से इकट्ठा कर उसकी पुनः जांच करवानी चाहिए और डेटा की दोबारा समीक्षा कर डेटा की विसंगति को समझना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि गंगा और यमुना में वास्तव में सीवेज और औद्योगिक कचरा जा रहा है, तो पानी में नाइट्रेट और फास्फेट की मात्रा में वृद्धि होनी चाहिए थी, लेकिन सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में इसका कोई उल्लेख नहीं किया है।
जब कोई व्यक्ति नदी में स्नान करता है, तो कुछ बैक्टीरिया स्वाभाविक रूप से जल में प्रवेश कर सकते हैं। इसलिए फीकल कोलीफार्म के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना संदेहास्पद है।
गंगा जल में स्वयं सफाई की अद्भुत क्षमता: प्रो. विजय
बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. विजय नाथ मिश्रा ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की गंगाजल को प्रदूषित बताने वाली रिपोर्ट को गलत बताते हुए गंगा जल की शुद्धता पर उठे सवालों का जवाब दिया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि गंगा में प्रदूषण को खत्म करने की अपनी स्वाभाविक शक्ति है, और इसे स्नान के लिए पूरी तरह सुरक्षित माना जाना चाहिए। गंगा जल में बैक्टीरियोफेज बनने की अद्भुत क्षमता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया को स्वतः ही नष्ट कर देती है। गंगा में जितना अधिक फीकल कोलीफार्म बढ़ता है, गंगा उतनी ही तेजी से बैक्टीरियोफेज बनाकर उसे नष्ट कर देती है।
आचार्य जयशंकर ने भी रिपोर्ट को नकारा
आध्यात्मिक गुरु आईआईटियन आचार्य जयशंकर ने भी सीपीसीबी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। आईआईटी से स्नातक और अमेरिका में एक शानदार करियर को छोड़कर आध्यात्मिकता की ओर मुड़ने वाले आचार्य जयशंकर ने कहा कि प्रयागराज में संगम का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि पहले की तुलना में अधिक स्वच्छ है।
गंगाजल को साफ करते हैं बैक्टीरियोफेज: पद्मश्री अजय
मोती विज्ञानी अजय सोनकर ने तो दावा किया है कि गंगा जल सबसे शुद्ध है। यहां नहाने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो सकता है। उन्होंने संगम नोज और अरैल समेत अलग-अलग पांच प्रमुख स्नान घाटों से खुद जाकर जल के नमूने इकट्ठा किए। इसके बाद उन्हें अपनी प्रयोगशाला में सूक्ष्म परीक्षण के लिए रखा। उन्होंने बताया कि गंगा जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं। जो किसी भी हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं।महाकुंभ नगर। गंगाजल की शुद्धता पर सवाल उठाती सीपीसीबी की रिपोर्ट खुद सवालों के घेरे में आ गई है। यह बहस तेज हो गई है कि संगम का जल स्नान योग्य है या नहीं।
जहां सीपीसीबी ने जल प्रदूषण को लेकर चेतावनी दी है, वहीं इलाहाबाद विश्वविद्यालय, बीएचयू के प्रोफेसर, आध्यात्मिक गुरु आचार्य जयशंकर और पद्मश्री मोती विज्ञानी डॉ. अजय सोनकर का कहना है कि संगम का जल पूरी तरह से सुरक्षित और स्वच्छ है।
संगम में गंगा जल स्नान योग्य है
इलाहाबाद विश्वविद्यालय पर्यावरण अध्ययन केंद्र के प्रभारी प्रो. उमेश कुमार सिंह ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की उस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं, जिसमें संगम पर गंगा जल को स्नान के लिए अनुपयुक्त बताया गया था। रिपोर्ट को संदेहास्पद बताते हुए यह दावा किया है कि संगम में गंगा जल स्नान योग्य है।
उन्होंने कहा कि सीपीसीबी ने फीकल कोलीफार्म की मात्रा को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया है। सीपीसीबी को अपने डेटा के स्रोत को स्पष्ट करना चाहिए।
रिपोर्ट में कई विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि उनके अध्ययन के अनुसार गंगा जल में घुलित ऑक्सीजन (डीओ) तथा जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) के स्तर संतोषजनक हैं।
क्या है सीपीसीबी की रिपोर्ट का दावा?
सीपीसीबी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि प्रयागराज में गंगा जल में फीकल कोलीफार्म (मानव और पशु अपशिष्ट से उत्पन्न बैक्टीरिया) की मात्रा मानक स्तर से अधिक हो गई है, जिससे नदी का प्रदूषण स्तर बढ़ गया है।
इस रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद प्रो. सिंह कहते हैं कि इसके आंकड़े वास्तविकता से मेल नहीं खाते। डेटा देखा तो पाया कि डीओ का स्तर अच्छा है और बीओडी भी उचित सीमा में है।
सीपीसीबी को नमूने फिर से इकट्ठा कर उसकी पुनः जांच करवानी चाहिए और डेटा की दोबारा समीक्षा कर डेटा की विसंगति को समझना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि गंगा और यमुना में वास्तव में सीवेज और औद्योगिक कचरा जा रहा है, तो पानी में नाइट्रेट और फास्फेट की मात्रा में वृद्धि होनी चाहिए थी, लेकिन सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में इसका कोई उल्लेख नहीं किया है।
जब कोई व्यक्ति नदी में स्नान करता है, तो कुछ बैक्टीरिया स्वाभाविक रूप से जल में प्रवेश कर सकते हैं। इसलिए फीकल कोलीफार्म के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना संदेहास्पद है।
गंगा जल में स्वयं सफाई की अद्भुत क्षमता: प्रो. विजय
बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. विजय नाथ मिश्रा ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की गंगाजल को प्रदूषित बताने वाली रिपोर्ट को गलत बताते हुए गंगा जल की शुद्धता पर उठे सवालों का जवाब दिया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि गंगा में प्रदूषण को खत्म करने की अपनी स्वाभाविक शक्ति है, और इसे स्नान के लिए पूरी तरह सुरक्षित माना जाना चाहिए। गंगा जल में बैक्टीरियोफेज बनने की अद्भुत क्षमता है, जो हानिकारक बैक्टीरिया को स्वतः ही नष्ट कर देती है। गंगा में जितना अधिक फीकल कोलीफार्म बढ़ता है, गंगा उतनी ही तेजी से बैक्टीरियोफेज बनाकर उसे नष्ट कर देती है।
आचार्य जयशंकर ने भी रिपोर्ट को नकारा
आध्यात्मिक गुरु आईआईटियन आचार्य जयशंकर ने भी सीपीसीबी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। आईआईटी से स्नातक और अमेरिका में एक शानदार करियर को छोड़कर आध्यात्मिकता की ओर मुड़ने वाले आचार्य जयशंकर ने कहा कि प्रयागराज में संगम का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि पहले की तुलना में अधिक स्वच्छ है।
गंगाजल को साफ करते हैं बैक्टीरियोफेज: पद्मश्री अजय
मोती विज्ञानी अजय सोनकर ने तो दावा किया है कि गंगा जल सबसे शुद्ध है। यहां नहाने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो सकता है। उन्होंने संगम नोज और अरैल समेत अलग-अलग पांच प्रमुख स्नान घाटों से खुद जाकर जल के नमूने इकट्ठा किए। इसके बाद उन्हें अपनी प्रयोगशाला में सूक्ष्म परीक्षण के लिए रखा। उन्होंने बताया कि गंगा जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं। जो किसी भी हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं।