जानें- वक्फ बिल में हुए कौन-कौन से बड़े संशोधन

Update: 2025-04-01 10:22 GMT

वक्फ (संशोधन) बिल, 2024 में वक्फ अधिनियम, 1995 में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। ये संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के उद्देश्य से लाए गए हैं। नीचे कुछ प्रमुख संशोधन दिए गए हैं:

गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना: पुराने कानून में वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में केवल मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान था। नए बिल में गैर-मुस्लिम व्यक्तियों को भी इन निकायों में शामिल करने की अनुमति दी गई है, जिससे संरचना में विविधता आएगी।

महिला प्रतिनिधित्व: बिल में वक्फ बोर्ड में कम से कम दो महिला सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है। इससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा और मुस्लिम महिलाओं को निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी का अवसर मिलेगा।

वक्फ गठन के लिए शर्तें: नए बिल में वक्फ बनाने के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि घोषणाकर्ता ने कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन किया हो और वह संपत्ति का मालिक हो। साथ ही, "वक्फ बाय यूजर" (लंबे समय तक उपयोग के आधार पर वक्फ की मान्यता) को हटा दिया गया है।

सरकारी संपत्ति पर वक्फ का दावा खत्म: यदि कोई सरकारी संपत्ति पहले वक्फ के रूप में घोषित की गई थी, तो उसे अब वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा। इसकी जांच जिला कलेक्टर करेंगे और स्वामित्व का निर्धारण राज्य सरकार को रिपोर्ट करेंगे।

संपत्ति के दावों का सत्यापन: वक्फ बोर्ड द्वारा दावा की गई सभी संपत्तियों का अनिवार्य सत्यापन होगा। यह पारदर्शिता बढ़ाने और अवैध कब्जे रोकने के लिए है। कलेक्टर को सर्वेक्षण का प्रभारी बनाया गया है, जो पहले वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारी थी।

वक्फ बोर्ड की शक्तियों में बदलाव: पुराने कानून में वक्फ बोर्ड को यह तय करने का अधिकार था कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं, लेकिन नए बिल में इस अधिकार को संशोधित किया गया है। अब यह निर्णय कलेक्टर और अदालत के दायरे में आएगा।

वक्फ-अल-अवलाद में संशोधन: पारिवारिक वक्फ (वक्फ-अल-अवलाद) अब तभी मान्य होगा, जब दाता अपने उत्तराधिकारियों, खासकर महिलाओं को विरासत से वंचित न करे। इससे संपत्ति के बंटवारे में निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।

पंजीकरण और ऑडिट: वक्फ संपत्तियों का छह महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा। साथ ही, केंद्र सरकार को किसी भी वक्फ का ऑडिट कराने का अधिकार होगा, जिससे वित्तीय पारदर्शिता बढ़ेगी।

अलग समुदायों के लिए बोर्ड: बोहरा और आगाखानी जैसे विशिष्ट मुस्लिम समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाने का प्रस्ताव है, यदि उनके पास राज्य में वक्फ संपत्ति है।

नाम में बदलाव: वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर "समेकित वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995" करने का प्रस्ताव है, जो इसके व्यापक उद्देश्य को दर्शाता है।

ये संशोधन वक्फ बोर्ड के कामकाज को सुव्यवस्थित करने, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण को रोकने, और समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए लाए गए हैं। हालांकि, इन बदलावों को लेकर विपक्ष और कुछ मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है, उनका कहना है कि यह धार्मिक स्वायत्तता में हस्तक्षेप है। दूसरी ओर, सरकार का दावा है कि ये सुधार मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं और गरीबों, के हित में हैं।

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