दूसरे चरण में 11 जिलों की 67 सीटों पर कल वोट डाले जाएंगे. पहले चरण में 15 जिलों की 73 सीटों पर पिछली बार से ज्यादा, 64 फीसदी वोट पड़ा.
दूसरे चरण में मुस्लिम मतदाता सबसे अहम हैं. इसमें 36 फीसदी मुस्लिम हैं, जबकि पूरे राज्य में 19 फीसदी मुसलमान हैं. खास बात ये है कि काम बोलता है के नारे पर दांव लगा रहे अखिलेश यादव इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धर्म के छोटे-मोटे ठेकेदारों पर ध्यान देने बजाए सबको भविष्य के सपने दिखा रहे हैं.
मायावती को अब तक छोटे मोटे करीब एक दर्जन मुस्लिम धर्मगुरुओं का साथ मिल चुका है. मायावती ने समाजवादी पार्टी के 56 उम्मीदवारों के मुकाबले उत्तर प्रदेश में 99 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इस सब के बीच बीजेपी की उम्मीद इस पर टिकी है कि अखिलेश और मायावती में मुस्लिम वोट बंट जाए और उसे फायदा हो जाए.अमरोहा में एसपी कांग्रेस गठबंधन और बीएसपी दोनों ने ही मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं इसलिए यहां वोटों को बंटवारा होता दिख रहा है. बड़ी बात ये है कि समाजवादी पार्टी का वोटर भी इस बार बहनजी की बीएसपी की तरफ मुड़ता दिख रहा है.
इन 11 जिलों में 6 जिले मुस्लिम बहुल जिले हैं. इसमें से रामपुर में 51 फीसदी, मुरादाबाद में 47%, बिजनौर में 43%, सहारनपुर में 42%, अमरोहा में 41% और बरेली में 35 फीसदी मुसलमान हैं. इसी वजह से यहां बीएसपी ने 26, एसपी-कांग्रेस गठबंधन ने 25 और आरएलडी ने 13 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. 13 सीटे ऐसी हैं जहां एसपी-कांग्रेस और बीएसपी के मुस्लिम उम्मीदवार आमने-सामने हैं. यानी मुस्लिम वोटों की असली लड़ाई उन 13 सीटों पर हैं जहां एसपी-बीएसपी दोनो ने ही मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं.
मुस्लिम वोट किसे मिलेंगे किसी एक पार्टी को या उम्मीदवारों के हिसाब से बंटवारा होगा. ये फैसला आखिरी वक्त तक यहां पर जीत हार के खेल को पलट सकता है लेकिन अगर समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बीच मुस्लिम वोटों का बंटवारा होता है तो बीजेपी के लिए राह आसान हो सकती है.
लोग मानते हैं कि हर पार्टी मुसलमानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करती है बावजूद इसके लोगों को अखिलेश यादव ही उम्मीद की किरण दिखते हैं.