दुष्कर्म मामले में कांग्रेस सांसद राकेश राठौर को तगड़ा झटका, एमपी-एमएलए कोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

Update: 2025-02-05 13:07 GMT

सीतापुर। एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश दिनेश नागर ने दुष्कर्म मामले में आरोपी कांग्रेस सांसद राकेश राठौर की जमानत याचिका बुधवार को खारिज कर दी। इससे पहले मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी, जिसमें शासकीय अधिवक्ता ने तीन दिन का समय दिए जाने की मांग की थी।

कोर्ट ने एक दिन का समय दिया था। बुधवार को दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय दिया। कोर्ट ने जमानत खारिज करने में पीड़िता के बयानों और गतिमान विवेचना को आधार बनाया है।

न्यायाधीश ने आदेश में लिखा है कि राकेश राठौर सांसद हैं और विवेचना जारी है। इसलिए तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए बिना गुण-दोष पर विचार किए बिना जमानत देने का पर्याप्त आधार नहीं है।उधर, जमानत याचिका खारिज होने के बाद सांसद के अधिवक्ताओं ने जरूरी प्रपत्रों की प्रमाणित प्रतियों की व्यवस्था करनी शुरू कर दी। सूत्रों के मुताबिक, उनकी ओर से गुरुवार को हाईकोर्ट में जमानत याचिका डाली जाएगी।

नगर कोतवाली में लिखा गया था दुष्कर्म का मुकदमा

सांसद राकेश राठौर पर 17 जनवरी को नगर कोतवाली में दुष्कर्म का मुकदमा लिखा गया था। पुलिस ने 30 जनवरी को उनके आवास से उन्हें गिरफ्तार करके सीजेएम कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने उन्हें जेल भेज दिया था।

इसके बाद सांसद की ओर से जिला न्यायाधीश कुलदीप सक्सेना की अदालत में जमानत याचिका डाली गई थी। उन्होंने जमानत पर सुनवाई की तारीख चार फरवरी लगाकर प्रकरण को एमपी-एमएलए कोर्ट भेज दिया था। चार फरवरी को जिला शासकीय अधिवक्ता प्रशांत शुक्ल ने बहस के लिए तीन दिन का समय मांगा था।

इस पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें एक दिन का समय देकर सुनवाई तारीख पांच फरवरी लगा दी थी। बुधवार सुबह दोनों पक्षों ने जमानत पर बहस की।

सांसद प्रभावशाली लोगों में शामिल रहते हैं: जिला शासकीय अधिवक्ता

जिला शासकीय अधिवक्ता ने बहस करते हुए कहा कि सांसद प्रभावशाली लोगों में शामिल रहते हैं और विवेचना भी चल रही है। ऐसे में सांसद विवेचना को प्रभावित कर सकते हैं।

उधर, सांसद के अधिवक्ता दीपक पांडेय ने बताया कि पुलिस ने जिन धाराओं में मुकदमा लिखा है, घटना की प्रकृति वो लागू ही नहीं होती। इसके बाद न्यायाधीश ने दिनेश कुमार नागर ने सांसद की जमानत खारिज कर दी।

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