सन 2012 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव फीका-फीका गुजरा था, क्योंकि तब अमर सिंह राजनीतिक निर्वासन झेल रहे थे। चुनावी माहौल में उनकी कमी बहुत अखरती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। फिलहाल वह पूरे फार्म में हैं और समाजवादी पुरोधा कहे जाने वाले 'बड़े भाई' मुलायम सिंह यादव और कभी प्रिय 'भतीजे' रहे अखिलेश यादव उनके निशाने पर हैं। वह चोट खाये हुए हैं और पूरी ताकत से फुफकार रहे हैं, हालांकि काटने से वह फिर भी परहेज करेंगे, क्योंकि उनके जैसा चतुर खिलाड़ी कभी सारे दरवाजे बंद नहीं करता। यह जरूर है कि आजकल वह भाजपा के दरवाजे पर अपनी तरह से सांकेतिक दस्तकें दे रहे हैं। यही वजह है कि उन्हें मुलायम सिंह ड्रामेबाज दिख रहे हैं और मोदी में कृष्ण के दर्शन हो रहे हैं।
मीडिया और राजनीति में अपनी बयानबाजी की बदौलत छाए रहने वाले अमर सिंह महाशिवरात्रि पर्व पर वाराणसी पहुंचे थे बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने लेकिन वहां उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के रूप में प्रधानमंत्री मोदी नजर आ गए। फिर क्या था, अमर सिंह ने यह बात मीडिया से शेयर कर दी। सपा की साइकिल पर सवार होकर राज्यसभा पहुंचने वाले अमर सिंह मीडिया के चहेते रहे हैं लेकिन उनका कोई जनाधार कभी नहीं रहा है। अमर सिंह की बॉलीवुड में भी अच्छी पकड़ है। बॉलीवुड के अभिनेताओं की तरह अमर सिंह भी देश की राजनीति में समय-समय पर किरदार बदलते रहे हैं। कभी दोस्त बनकर जान तक कुर्बान कर देने की बात कही तो कभी खलनायक का भी रूप धर लिया। सपा के अंदर आर बाहर रहते हुए अमर सिंह फिलहाल नये ठिकाने की तलाश में हैं।
जनवरी 2012 में अमर ने कहा कि 'मैं मुलायम सिंह यादव या सपा का नौकर नहीं हूं। मुझे उनके तमाम राज पता हैं, लेकिन न तो मैंने उन्हें अभी तक उजागर किया है और न कभी करूंगा।' वह शायद अब भी इस सदाशयता को बनाए रखेंगे, क्योंकि कल को किसने देखा है? फरवरी 2012 में लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में अमर सिंह ने कहा कि 'यूपी के भ्रष्टचार में मुख्यमंत्री मायावती और मुलायम सिंह यादव दोनों साझीदार हैं। मुलायम सिंह एक पहिए की साइकिल चलाने वाले जोकर हैं।' मुलायम सिंह के प्रति उनकी तल्खी मई 2010 में भी दिखी जहां उन्होंने कहा था कि 'मैं मुलायम सिंह का दर्जी और कूड़ेदान रहा हूं। 14 साल तक उनकी गलत नीतियों को नैतिकता की पोशाक पहनाकर संवारने का काम करता रहा हूं, मैं अपराधी हूं। लेकिन अब दल की गलतियों का श्रेय लेने वाला कूड़ेदान नहीं हूं मैं।' उत्तर प्रदेश के आगरा में अप्रैल 2012 में कहा कि 'मुलायम सिंह ने बलात्कार पर बयान दिया है कि लडक़े हैं, मन मचल जाता है। ऐसा लगता है कि मुलायम सिंह का वश चले तो वह दुराचार को भी जायज करार दे दें'। फिर अगस्त 2013 में दिल्ली के कार्यक्रम में अमर सिंह ने मुलायम को धृतराष्टï्र तक कह दिया। कहा कि मुलायम भूल जाते हैं कि वह राजा नहीं, जनता के नौकर हैं। 2011 में एक मामले में जेल की हवा खाने के बाद अमर सिंह ने राजनीति से संन्यास ले लिया। लेकिन 2014 में पार्टी में विरोध के बावजूद मुलायम सिंह ने अमर सिंह का राजनीतिक वनवास खत्म कर दिया। इसके बाद उन्हें साइकिल पर बैठाकर राज्यसभा भेज दिया। लेकिन इधर कुछ महीनों पूर्व उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की सरगर्मी बढऩे के साथ सपा में भीतरी कलह भी खुलकर सामने आई।
समाजवादियों के बीच हुए पूरे दंगल के दौरान एक बाहरी व्यक्ति की भूमिका की खूब चर्चा हुई। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रो. राम गोपाल यादव तो खुलकर अमर सिंह के विरोध में खड़े हो गए और इस सारे दंगल की पटकथा लिखने का श्रेय अमर सिंह को दिया। इस दौरान अमर सिंह ने कहा कि वह सपा के प्रति वफादार हैं और नेता जी (मुलायम सिंह यादव) अगर कह दें तो मैं सपा के लिए अपनी जान तक दे सकता हूं। काफी लंबे समाजवादी ड्रामे के बाद जब सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथ आई तो उन्होंने बिना समय गंवाए अमर सिंह को साइकिल से धक्का देकर गिरा दिया। अब उत्तर प्रदेश में चुनावी जंग चरम पर है। लेकिन ऐसा लगता है कि आजमगढ़ का यह राजपूत ठान चुका है कि समाजवादियों का किला ढहा कर ही दम लेगा। करीब छह महीने से धधक रही सैफई घराने की आग में अमर सिंह घी डाल रहे हैं। हाल ही में अमर सिंह ने कहा कि सपा में मचे घमासान के पटकथा लेखक खुद मुलायम सिंह हैं। यानी, सपा का यह 'सिपाही' अब अपने आराध्य नेता जी के लिए भस्मासुर साबित हो रहा है। अमर सिंह का कहना है कि 'मुलायम और अखिलेश में कोई विवाद नहीं है। बल्कि मुझे इस्तेमाल किया गया है। मुलामय ने सारी नौटंकी कानून-व्यवस्था से चरमराई अखिलेश यादव की छवि सुधारने के लिए करवायी। मुलायम को अपने बेटे के हाथों हारना पसंद है, साइकिल, बेटा और सपा उनकी कमजोरियां हैं'।
महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर के दर्शन करने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचे अमर सिंह ने मोदी की तुलना भगवान श्रीकृष्ण से कर डाली। कहा कि श्रीकृष्ण मथुरा में जन्म लेकर गुजरात में जाकर बस गए थे और वहां वे द्वारिकाधीश के रूप में पूजे जाते हैं। उसी तरह पीएम मोदी गुजराज के हैं लेकिन उन्होंने वाराणसी को अपना घर बना लिया है। वे यहां विकास कार्य कर रहे हैं लेकिन विरोधी उनकी राह में रोड़ा अटका रहे हैं। अमर सिंह का यह बयान मुलायम सिंह को यह बताने के लिए काफी है कि मुलायम की बेवफाई को वह आसानी से पी जाने वाले नहीं। बदले की आग में जलकर वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी में भगवान कृष्ण की छवि देखना, हो सकता है, खुद उनकी रणनीति हो या फिर वह भाजपा के हाथों खुद को इस्तेमाल होने दे रहे हों, मगर भाजपा में उन्हें ठौर मिलेगा, इसकी संभावनाएं कम ही हैं।
साभार : चौपाल चर्चा