समाजवादी पार्टी की सरकार में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में पीछे रह गई भाजपा अब अपनी कसक दूर करना चाहती है। अविश्वास और त्याग पत्र के बाद दस जिला पंचायत अध्यक्षों के पद रिक्त हो गए हैं। यह किला फतह करने के लिए पार्टी पूरी ताकत से जुट गई है। इस बार सत्ता में होने और बदले निजाम में ज्यादातर सदस्यों का भाजपा के प्रति आकर्षण होने की वजह से मंत्रियों से लेकर संगठन के पदाधिकारी इसे आसानी से हासिल करना चाहते हैं।
भाजपा सरकार बनते ही जिला पंचायतों और ब्लाकों में अविश्वास की घंटी बज गई थी। तब कुछ ताकतवर लोगों ने भी हालात को भांपकर किनारा कसना शुरू कर दिया था। मेरठ में सपा सरकार में बड़ी धूम से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने वाली सीमा प्रधान ने अविश्वास प्रस्ताव आने से पहले ही त्यागपत्र का रास्ता चुन लिया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी अतुल प्रधान की पत्नी सीमा ने ही यह कदम नहीं उठाया बल्कि, कौशांबी, गाजीपुर, बुलंदशहर, रामपुर और लखीमपुर खीरी में भी जिला पंचायत अध्यक्षों ने त्याग पत्र दे दिया।
उधर, मऊ में सपा जिलाध्यक्ष धर्मप्रकाश यादव की पत्नी अंशा यादव ने अविश्वास के माहौल के बावजूद मुकाबले की राह चुनी। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव में उन्हें झटका लगा और कुर्सी गंवानी पड़ी। सिर्फ मऊ ही नहीं बल्कि संतकबीरनगर, औरैया और फर्रुखाबाद में भी जिला पंचायत अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के चलते कुर्सी गंवा देनी पड़ी।
अब भाजपा पश्चिम से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक इन दसों सीटों पर अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए पूरे समीकरण के साथ सक्रिय हो गई है। 17 जुलाई से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होनी है। इसके पहले ही भाजपा पूर्ण बहुमत जुटाने और ज्यादातर जिलों में निर्विरोध अध्यक्ष बनाने की मुहिम में लगी है। यह अलग बात है कि अविश्वास प्रस्ताव या त्यागपत्र के जरिये कुर्सी गंवा चुके लोग भी गुणा-गणित में सक्रिय हैं। वे आसानी से भाजपा को ओवरटेक करने का मौका नहीं देना चाहते हैं।
17 जुलाई को नामांकन पत्रों की जांच के बाद उम्मीदवारी वापस लेने के लिए 20 जुलाई की तारीख तय है और 23 जुलाई को मतदान होना है। इस दौरान जिलों में पक्ष और विपक्ष का धु्रवीकरण शुरू हो गया है। चूंकि पंचायत के उप चुनाव में भाजपा को कई जगह हार का सामना करना पड़ा है इसलिए विपक्षियों का हौसला बढ़ा है। हालांकि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन का कहना है कि पिछली सपा सरकार ने अपने हथकंडों से लोकतंत्र को कुचलने का काम किया था लेकिन, अब भाजपा सरकार लोकतंत्र की बहाली और आमजन के सपनों को पूरा करने के लिए काम कर रही है।