बारिश के बाद IIT दिल्ली पहुंचे जॉन कैरी ने ली चुटकी, छात्रों से पूछा, नाव में आए हो क्या?

Update: 2016-08-31 13:00 GMT

भारत आते ही बारिश के कारण गुड़गांव के जाम में फंसे अमेरिका के सचिव जॉन कैरी ने आज फिर दिल्ली की बारिश का सामना किया। यही वजह थी कि छात्रों से मुखातिब होने आईआईटी दिल्ली पहुंचे जॉन ने मजाक-मजाक में छात्रों से पूछ ही लिया कि क्या आप यहां नाव से आए हैं।

जॉन कैरी को छात्रों बातचीत के लिए 9:30 बजे दिल्ली पहुंचना था लेकिन वो फिर से दिल्ली-एनसीआर में हो रही बारिश के शिकार हो गए करीब डेढ़ घंटे लेट से पहुंचे। जॉन करीब 11 बजे आईआईटी दिल्ली पहुंचे।

यहां पहुंचकर उन्होंने दिल्ली की सड़कों पर हुए वॉटर लॉगिंग पर चुटकी लेते हुए कहा कि, 'मुझे नहीं पता कि आप सब यहां कैसे पहुंचे, आप सबको जरूर यहां पहुंचने के लिए नाव की जरूरत पड़ी होगी।'
देखें वीड‌ियो जब जॉन कैरी ने छात्रों से पूछा क्या नाव से आए हो?-

सोमवार को भी जाम में फंसे थे कैरी

बता दें कि जॉन कैरी जब सोमवार को अमेरिका से भारत आए थे तब भी वो जाम में फंसे थे और आईजीआई एयरपोर्ट से होटल ताज महल पहुंचने में उन्हें 1 घंटे लग गए थे। कैरी की गाड़ियों का काफिला तीन मूर्ति क्रॉसिंग के पास जाम में फंस गया था क्योंकि आसपास के पूरे इलाके में जलजमाव के कारण ट्रैफिक अवरुद्ध हो गया था।

उस दिन पुलिसवालों को आसपास के सभी रास्तों का ट्रैफिक रोकना पड़ा था ताकि कैरी का काफिला आगे बढ़ सके। सूत्रों का कहना है कि करीब 50 पुलिसवालों को वहां तैनात कर दिया गया था ‌ताकि वीआईपी मूवमेंट हो सके।

हालांकि मजाक अपनी जगह था पर उसके बाद जॉन ने छात्रों से खूब सारी बातें की और भारत व अमेरिका के रिश्तों को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मैं जहां भी गया वहां लोगों की जबरदस्त डिबेट देखी और महत्वकांक्षी भविष्य का विजन भी पाया। ये शायद भारत के डीएनए में ही है।

'आज भारत एक स्था‌प‌ित शक्त‌ि है'

भारत की तारीफ करते हुए जॉन ने कहा कि आज भारत एक स्थापित शक्ति है। राष्ट्रपति ओबामा और पीएम मोदी ने निजी संबंध स्थापित कर लिए हैं जो कॉमन सेंस और भविष्य के विजन पर टिकी है।

अमेरिकी सचिव ने आगे कहा कि ऐसे समय में जब देशों को सेनाओं के जरिए अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने की जरूरत पड़ती है, उस समय में भारत और अमेरिका ने नियमबद्ध तरीके से अंतरराष्ट्रीय रिश्ते मजबूत किए हैं।

उन्होंने विश्व में बढ़ते आतंकवाद के बारे में कहा कि हमें आतंक के पैदा होने के मूल कारण तक जाना होगा और विभिन्न तरीके आतंकियों को समझने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।

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