ईद-उल-जुहा (बकरीद) मंगलवार यानी 13 सिंतबर को देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. आइए इस मौके पर हम आपको बताते हैं इस पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें....साथ ही हम आपको ईद मुबारक के चुनिंदा SMS बताने जा रहे हैं जिसके जरिए आप अपने दोस्तों को व्हाट्सएप्प और फेसबुक के जरिए संदेश भेज सकते हैं.
ईद को इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है. आपको बता दें कि मुस्लिमों में हर साल दो तरह की ईद मनाई जाती है. एक मीठी ईद होती है. जिसका संदेश समाज में मिठास और प्यार भरना है.
दूसरी बकरीद होती है, जो लोगों को त्याग का संदेश देती है और अपने कर्तव्य का बोध कराती है. इस्लाम धर्म का यह दूसरा प्रमुख त्योहार है. इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है.
ईद-उल-जुहा की मान्यता
ईद-उल-जुहा हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह के प्रति अपनी वफादारी दिखाने के लिए अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने पर राजी हुए थे. इस पर्व का मुख्य लक्ष्य लोगों में जनसेवा और अल्लाह की सेवा के भाव को जगाना है. ईद-उल-ज़ुहा का यह पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धान्त हज की भी पूर्ति करता है.
ईद-उल-जुहा को कैसे मनाया जाता है?
ईद-उल-जुहा के दिन मुसलमान किसी जानवर जैसे बकरा, भेड़, ऊंट आदि की कुर्बानी देते हैं. इस कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है: एक खुद के लिए, एक सगे-संबंधियों के लिए और एक गरीबों के लिए. इस दिन सभी लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ते हैं. मर्द मस्जिद और ईदगाह में और महिलाएं घरों में ही नमाज पढ़ती हैं. नमाज पढ़कर आने के बाद ही कुर्बानी की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. ईद उल फित्र की तरह ईद उल जुहा में भी जकात देना अनिवार्य होता है ताकि खुशी के इस मौके पर कोई गरीब महरूम ना रह जाए.