कुछ और पर गिरेगी गाज, विधायकों-मंत्रियों केटिकट पर तलवार लटक रही

Update: 2016-09-19 01:00 GMT
लखनऊ : समाजवादी परिवार की कलह अब पार्टी के अंदर खेमेबंदी में तब्दील होती दिखने लगी है। डांट-फटकार कार्यकर्ताओं पर निष्प्रभावी हो रही है, जिससे वोट बैंक को बांधे रखना समाजवादी पार्टी के किसी चुनौती से कम नहीं है। अरविंद यादव के बाद अब मैनपुरी, इटावा और गाजियाबाद के बड़े सपाइयों पर भी कार्रवाई की संभावना है। इन पर जमीनों पर कब्जा करने का इल्जाम है। शिवपाल यादव इशारों में कई बार इनका उल्लेख कर चुके हैं।
वीडियो फुटेज जुटाए
अरविंद यादव पर कार्रवाई के लिए पार्टी ने जो साक्ष्य जुटाए हैं, उसमें एक वीडियो क्लिप बताई जा रही है। इस क्लिप में सपा सुप्रीमो के खिलाफ नारे लगाने वालों में उनके भी शामिल होने की बात है। इस कार्रवाई के बाद पार्टी ने समाजवादी परिवार के सत्ता संग्राम के दौरान हुई नारेबाजी के वीडियो फुटेज जुटाने का प्रयास शुरू कर दिया है। संकेत है कि अभी ऐसे और लोगों पर कार्रवाई होगी, जिन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष पर अमर्यादित टिप्पणी की है।


सपा का दूसरा बड़ा खतरा जिलों से बावस्ता है। पार्टी 2012 में पराजित सीटों में से 159 पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, जिनमें से कई का टिकट काटने की प्रेक्षकों ने संस्तुति कर रखी है, ऐसे में दावेदारों पर परिवार के विवादों का असर पड़ने की संभावना है। इसी खेमेबंदी के चलते घोषित प्रत्याशियों को दावेदारों के विभीषण बनने का खौफ सता रहा है। सूत्रों का कहना है कि करीब 30 फीसद उम्मीदवारों, मौजूदा विधायकों-मंत्रियों केटिकट पर तलवार लटक रही है। टिकट बटवारे में अखिलेश पहले ही अपनी भूमिका सुदृढ़ करने करने की बात कह चुके हैं। उधर, शिवपाल ने कसरत शुरू कर दी है। ऐसे में चुनावी तैयारी का वक्त कम और बात का बतंगड़ बनने की आशंका भी है। लब्बोलुआब यह है कि अपनों के बीच 'रफीकुल मुल्क' कमजोर पड़ रहे हैं। परंपरागत मतदाताओं का भरोसा खेमेबंदी खाये जा रही है।

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