आज सभी कैबिनेट मंत्री मीटिंग हॉल में पहुँच गए. अपनी-अपनी कुर्सी पकड़ ली. मुख्यमंत्री की कुर्सी के एक तरफ आज़म खान तो दूसरी ओर शिवपाल यादव बैठ गए. कुछ सेकेण्ड बाद अखिलेश यादव भी आ गए. सबने इशारों ही इशारों में एक दुसरे को नमस्कार किया. हॉल में बैठे मंत्री एक दूसरे से चेहरा मिलाने में भी हिचक रहे थे. ऐसा लग रहा था सब एक दुसरे से अनजान है. चाचा भतीजे में चल रहे झगड़े के बीच यूपी सरकार की ये पहली कैबिनेट बैठक थी.
अचानक आवाज आयी "भाई इतना सन्नाटा क्यों पसरा हुआ है." आज़म खान के इतना बोलते ही सब मुस्कुराये. आज़म बोले "दोनों नेता यहाँ बैठे है, मैं बस इतना कहना चाहता हूँ, जो कुछ हो रहा है, समाजवादी पार्टी का बड़ा नुक्सान हो रहा है"
आज़म ने बताया कि अगर हालात नहीं बदले तो फिर हम चुनाव कैसे लड़ेंगे?
इस दौरान कोई कुछ नहीं बोला. शिवपाल यादव और अखिलेश यादव भी खामोश रहे. माहौल बहुत भारी हो चला था.
आज़म खान की बात का जवाब खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिया.
भावुक होते हुए उन्होंने कहा, "एक बेटा होने के नाते नेताजी को खुश करने के लिए जो भी करना होगा करूंगा. उनका हर फैसला हम सबको मान्य है." शिवपाल ने सर हिलाते हुए हामी भरी और बाकी मंत्रियों ने तालियां बजायी.
एक मंत्री ने कहा "आज़म साहेब अब आप भी अमर सिंह का पीछा छोड़ दीजिये."
कैबिनेट की मीटिंग ख़त्म होने के बाद शिवपाल, अखिलेश और आज़म एक ही साथ लिफ्ट से नीचे उतरे. और फिर मीडिया के सामने आये. ऐसा शायद पहली बार हुआ जब तीनों एक साथ पोर्टिको में खड़े हुए कंधे से कंधे मिला कर.
पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश बोले " हम सभी समाजवादी लोग एक होकर काम करेंगे और मिल कर सरकार बनाएंगे."
समाजवादी पार्टी से लेकर सरकार में हिस्सेदारी को लेकर मुलायम सिंह यादव के घर में घमासान मचा है. सड़क पर झगड़ा तो ख़त्म हो गया है. लेकिन अंदर ही अंदर आग लगी हुई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी दुबारा संभालते ही शिवपाल यादव ने भतीजे अखिलेश के कई विकेट गिरा दिए. शुरुआत हुई रामगोपाल यादव के भतीजे पर कार्रवाई से. ज़मीन कब्जे के आरोप में एमएलसी अरविन्द यादव पार्टी से बाहर कर दिए गए. फिर अखिलेश यादव के करीबी सात नेताओं पर गाज गिरी. सुनील यादव, आनंद भदौरिया और संजय लाठर तीनों विधान परिषद् के सदस्य है. इन सब पर लखनऊ के पार्टी ऑफिस में मुलायम के खिलाफ नारे लगाने के आरोप है.
शिवपाल ने इन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया. लेकिन अखिलेश खामोश रहे. अखिलेश यादव को हटा कर शिवपाल को पार्टी का यूपी अध्यक्ष बनाने के मुलायम सिंह के फैसले पर रामगोपाल ने सवाल खड़े किये थे. बताते है कि नेताजी इस बात से बहुत नाराज थे. पार्टी से बाहर किये गए नेताओं ने अखिलेश से गुहार लगाई लेकिन उन्होंने बीच में पड़ने से मना कर दिया.
रामगोपाल यादव मौन रह कर हालात समझ रहे है तो अखिलेश यादव ने भी ' नीलकंठ ' बने रहना ही बेहतर समझा है. शिवपाल यादव के बहाने नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव अब पार्टी चला रहे हैं.