अब हुआ हमारे बेटों की शहादत का सम्मान, बोले शहीदों के परिजन

Update: 2016-09-30 01:13 GMT
पाक अधिकृत कश्मीर में भारतीय सेना ने जिस तरीके से सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया, सही मायने में अब जाकर सरहद पर शहीद हुए हमारे बेटों की सहादत का सम्मान हुआ है। भारतीय सेना के इस कदम से मिली खुशी को शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
यह कहते हुए गर्व से चमक रहीं थीं कारगिल में शहीद हुए राजधानी के वीर सपूतों के परिवारीजनों की आंखें। सर्जिकल स्ट्राइक पर जब 'अमर उजाला' ने उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही, तो वे बोले जब से यह पता चला कि हमारे जवान सरहद पर दुश्मनों पर गोलियां बरसा रहे हैं, सुकून का अहसास हुआ। कारगिल ही क्यों, आज तक जितने भी जवान शहीद हुए हैं, उन्हें और उनके परिवारवालों ने जो कुर्बानियां दी हैं, सर्जिकल स्ट्राइक उस शहादत और कुर्बानी को सच्ची श्रद्धांजलि है। आइए जानते हैं क्या बोले- भारतीय सेना की पीओके में कार्रवाई पर वीर सपूत परमवीर चक्र कैप्टन मनोज पांडेय, राइफलमैन सुनील जंग, मेजर रीतेश शर्मा और मेजर प्रतीक शर्मा के परिवारीजन। उस वक्त दुख के आंसू थे, आज खुशी के हैं
कारगिल युद्ध में जब बेटे की शहादत की खबर मिली तो मैं और पत्नी एक-दूसरे को देख रहे थे और आंखों से आंसू झर-झर बह रहे थे। आज की सर्जिकल स्ट्राइक की खबर के बाद भी हम एक-दूसरे को देख रहे थे और दिल में जो खुशी थी, वह आंखों में नमी बन छलक उठी थी। मेरा बेटा मनोज कारगिल में शहीद हुआ। उसके जैसे ही तमाम वीरों को आज सेना ने सच्ची श्रद्घांजलि दी है। पाक से आरपार की लड़ाई ही एकमात्र उपाय है। सर्जिकल स्ट्राइक उसकी शुरुआत है। अब इसे रोकने की जरूरत नहीं है। इजराइल की तरह आतंकियों से लड़ने की रणनीति बनाई जाए, ताकि और मनोज पांडेय शहीद न हों। आज जो खुशी मिली है, उसमें पूरे देश को शामिल करना चाहता हूं। इससे पाकिस्तान न केवल बैकफुट पर आएगा, बल्कि भारत में आतंकवाद फैलाने से पहले खौफजदा हो जाएगा।
बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर पर मोदी सरकार ने जो साहसिक कदम उठाया, उससे पाकिस्तान में दहशत पैदा हो गई थी। पर, आज आतंकवादी शिविरों पर हल्ला बोलकर सेना ने पाकिस्तान की नींव को हिलाने का काम किया है। इसकी जितनी भी सराहना की जाय, कम है। हम सब बेहद खुश हैं। अब जरूरी है कि केंद्र सरकार इसी मानसिकता को बनाए रखे और सेना की हौसलाअफजाई करती रहे। पाकिस्तान को उसकी हद में रखने के लिए इसी मानसिकता के साथ जवाब देते रहना होगा। वर्ष 2005 में उड़ी में मेरा बेटा मेजर प्रतीक मिश्र शहीद हो गया था। बेटे का गम तो नहीं भुलाया जा सकता लेकिन आज जब सेना द्वारा हमले की खबर मिली तो खुशी से दिल झूम उठा। पूरे देश का मुंह मीठा कराने का दिल कर रहा है। मेरी मिठाई की असल मिठास सेना की कार्रवाई से आई है। हर एक जवान की कुर्बानी को श्रद्धांजलि
1995 में महज 16 साल की उम्र में गोरखा राइफल्स में भर्ती होने वाला मेरा बेटा राइफलमैन सुनील जंग कारगिल में दुश्मनों की ईंट से ईंट बजाते हुए शहीद हो गया था। देश की लचर नीति के कारण उसके बाद सरहद पर सैनिकों का खून बहता रहा, पर किसी ने मुंहतोड़ जवाब नहीं दिया। पहली बार किसी सरकार ने हिम्मत दिखाई और पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया है, जो वह हमेशा याद रखेगा। हमारी लड़ाई पाकिस्तानियों से नहीं, आतंकियों से है। इसलिए सेना को पाकिस्तान में घुसकर चल रहे सभी आतंकी शिविरों को खत्म कर देना चाहिए। अब हमें आंखें दिखाने से पहले पाकिस्तान घबराएगा। सेना की यह कार्रवाई सिर्फ बेटे ही नहीं बल्कि हर एकत जवान की कुर्बानी को श्रद्धांजलि है। बहुत खुश होगी मेरे बेटे की आत्मा
मुंबई में सीरियल ब्लास्ट, सरहद पर आए दिन गोलीबारी, संसद पर हमला, मुम्बई आतंकी हमला, उड़ी हमला...ऐसे ही एक लम्बी फेहरिस्त है, पाकिस्तान की करतूतों की। चूंकि, अभी तक सरकारों ने हाथों में चूड़ियां पहन रखी थीं, इसलिए पाकिस्तान के हौसले बुलंद थे। गुरुवार को सरकार के निर्देश पर सेना ने अपनी ताकत का परिचय पाकिस्तान को दिया है। पर, अब जरूरत है कि मुंबई में हुए आतंकी हमले के मास्टरमाइंड को बिलकुल उसी अंदाज में सेना ठिकाने लगाए, जैसे कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मारा था। मेरा बेटा मेजर रीतेश शर्मा आज जहां कहीं भी होगा, उसकी आत्मा जरूर खुश होगी। मेरी आंखें आज भी नम हैं, पर यह खुशी के आंसू हैं। सेना को कोटि-कोटि धन्यवाद।

Similar News