मदरसा शिक्षकों का मानदेय बढ़ा, हर महीने मिलेंगे 15 हजार रुपये

Update: 2016-10-03 02:38 GMT

विधानसभा चुनाव से पहले मदरसा शिक्षकों की मांग पूरी होने जा रही है। केंद्र सरकार के बाद अब यूपी में अखिलेश सरकार भी मदरसा आधुनिकीकरण योजना में पढ़ाने वाले शिक्षकों का मानदेय बढ़ाएगी। इन्हें आठ हजार के बजाय 15 हजार रुपये महीना देने की तैयारी है। शीघ्र ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा।

केंद्र सरकार की मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत सूबे के कई मदरसों को अनुदान मिलता है। इसमें शिक्षकों की दो तरह की श्रेणियां होती हैं। पहली श्रेणी परास्नातक व दूसरी श्रेणी स्नातक शिक्षकों की है। इन मदरसों में आधुनिक विषय पढ़ाने के लिए इन्हें केंद्र सरकार की ओर से मानदेय दिया जाता है। इसमें प्रदेश सरकार भी अपना अलग से अंश जोड़ती है।

अभी स्नातक शिक्षकों को केंद्र सरकार की ओर से छह हजार रुपये मिलते हैं। प्रदेश सरकार इसमें दो हजार रुपये और जोड़ती है। ऐसे में इन्हें आठ हजार रुपये महीना मानदेय मिलता है। केंद्र सरकार ने हाल ही में अपना अंश छह हजार से बढ़ाकर 12 हजार रुपये कर दिया है। इसी को देखते हुए अब अखिलेश सरकार ने भी अपना अंश दो हजार रुपये के बजाय तीन हजार करने का मन बनाया है।

वहीं, परास्नातक शिक्षकों को पहले से ही केंद्र सरकार 12 हजार रुपये देती है। इसमें प्रदेश सरकार तीन हजार रुपये और जोड़ती है। ऐसे में पीजी शिक्षकों को 15 हजार रुपये मानदेय मिलता है। इसमें सरकार ने किसी भी प्रकार का इजाफा नहीं किया है। इस तरह स्नातक शिक्षकों को भी परास्नातक शिक्षकों के बराबर मानदेय मिलने लगेगा।

आजम खां ने दी हरी झंडी

अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग ने मानदेय बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इस पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खां ने हरी झंडी दे दी है। अब इसे वित्त व न्याय विभाग को भेजा जा रहा है। इसके बाद इसे कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। वहां से मुहर लगने के बाद प्रदेश के करीब 17 हजार मदरसा शिक्षकों को इसका लाभ मिल सकेगा।

क्या है मदरसा आधुनिकीकरण योजना
केंद्र सरकार मदरसों में मुस्लिम बच्चों को गुणवत्तापरक व आधुनिक शिक्षा देने के लिए अनुदान देती है। इसके लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना शुरू की गई है।

पारंपरिक शिक्षा के अलावा विज्ञान, गणित, भाषा व सामाजिक अध्ययन जैसे विषय पढ़ाने के लिए अनुदान दिया जाता है। हाईस्कूल एवं इससे ऊपर के मदरसों में कंप्यूटर लैब विकसित करने के लिए एक लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है।

साइंस लैब के लिए भी सरकार अनुदान देती है। साथ ही कंप्यूटर व साइंस दोनों लैब के लिए वार्षिक रखरखाव का पैसा मिलता है। किताबों व लाइब्रेरी के नाम पर भी सरकार से 50 हजार रुपये मिलते हैं।

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