लोकतंत्र को पुनः स्थापित कराने वाले लोक नायक जय प्रकाश नारायण को शत् शत् नमन्

Update: 2016-10-08 02:21 GMT

लोकनायक जयप्रकाश नारायण पर लिखी अपनी कविता मुनादी में धर्मवीर भारती ने लिखा है

खलक खुदा का, मुलुक बाश्शा का...

हुकुम शहर कोतवाल का...

हर खासो-आम को आगाह किया जाता है... 

कि खबरदार रहें...

और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से...

कुंडी चढा़कर बन्द कर लें...

गिरा लें खिड़कियों के परदे...

और बच्चों को बाहर सड़क पर न भेजें...

क्योंकि...

एक बहत्तर बरस का बूढ़ा आदमी अपनी कांपती कमजोर आवाज में...

सड़कों पर सच बोलता हुआ निकल पड़ा है...

इन पंक्तियों को पढ़ते हुए या सुनते हुए ही रौंगटे खड़े हो जाते हैं। जो जेपी के आंदोलन और उनके जीवन से वाकिफ हैं वो इन पंक्तियों को और बेहतर समझ सकते हैं।

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