मुलायम का 'अमरप्रेम' अब अमर सिंह दिल्ली में पार्टी के सबसे बड़े नेता होंगे

Update: 2016-10-25 01:04 GMT

समाजवादी कुनबे में मची जंग के जिम्मेदार ठहराए गए पार्टी राज्यसभा संसद अमर सिंह पर सपा मुखिया मुलायम का 'अमरप्रेम' बना हुआ है! परिवार के सबसे बड़े झगड़े में मुलायम ने बेटे व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश के अमर सिंह पर सबसे तीखे हमले के बाद बोलते हुए कहा कि पद मिलते ही आपका दिमाग़ ख़राब हो गया है!

सपा मुखिया ने पुत्र प्रेम पर मित्र और भाई को तरजीह देते हुए स्पष्ट कर दिया की प्रदेश पार्टी शिवपाल के कमान में होगी! पार्टी से महासचिव व राज्य सभा सदस्य रहे राम गोपाल की विदाई भी इस बात का संकेत है कि अब अमर सिंह दिल्ली में पार्टी के सबसे बड़े नेता होंगे! मुलायम और अमर सिंह का प्रेम नया नहीं है, पारिवारिक परिस्थियों के कारण यह दूर तो हुए थे, लेकिन दोनों के दिलों ने दूरी कभी स्वीकार नहीं की! अमर सिह ने कई बार खुद को मुलायम का छोटा भाई और सेवक कहा तो विचाधारा की निष्ठा को लेकर उड़े सवालों पर उनका सपाट जवाब की वे तो 'मुलायमवादी' हैं, ने कई बार विरोधियोँ को निरुत्तर किया है!

अमर के इसी मुलायमवाद का परिणाम है की बेटे के अमर विरोध पर मुलायम बिफर गए, 'अमरप्रेम' में पड़े नेताजी ने कहा, 'अमर सिंह ने कई बार बचाया है. अमर सिंह मेरे भाई हैं. अमर सिंह और शिवपाल के खिलाफ कुछ नहीं सुन सकता. तुम्हारी क्या हैसियत है? अमर सिंह को बाहर करने को कह रहे हो? अमर सिंह को गाली देते हो, अमर ने जेल जाने से बचाया. तुम्हारी क्या हैसियत है? अमर नहीं होते तो सजा हो जाती.'

कैसे बचाया था अमर ने मुलायम को?

दरअसल मुलायम यहाँ उस वाकये को याद कर रहे थे जब वे आय से अधिक संम्पति के मामले में बुरी तरह घिर गए थे और केंद्र को समर्थन दे रही बसपा के दबाव और दूसरी राजनितिक परिस्थियों के कारण वे बुरी तरह घिर गए थे! ख़ासतौर से पौने तीन करोड़ रुपये के आय से अधिक वाले मामले में मुलायम पर सीबीआई का शिकंजा कसता ही जा रहा है. ऐसे में मुलायम की मदद के लिए आगे आये अमर सिंह ने न सिर्फ कानूनी लड़ाई का ज़िम्मा संभाला बल्कि उनके लिए राजनितिक समीकरण भी ठीक किये !

उस समय अमर सिंह ने सीबीआई की जांच में 288 कमियां बताते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, बाद में यूपीए को न्यूक्लियर डील में सपा की मदद के बाद मुलायम भी सीबीआई के घेरे से बाहर हो गए! हालांकि बाद में पार्टी के भीतर उठे विरोध के बीच अमर को पार्टी छोड़नी पड़ी लेकिन तब भी उन्होंने नेता जी के बाद खुद को सपा का सबसे बड़ा खैरख्वाह बताया था! 13 फरवरी 2012 को को अमर सिंह ने अपने चंदौली दौरे पर सपा से अपने निकाले जाने को कहा था कि सपा अब एक पहिये की हो गई है.! सपा में अमर सिह की इंट्री पहली बार 1996 में समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा सांसद के तौर पर हुई थी! बाद में उन्हें 2002 और 2008 में भी राज्यसभा भेजा गया गया!

2010 में आजम खान से विवाद पर मुलायम ने अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया था. समाजवादी पार्टी में कॉ़रपोरेट कल्चर लाने और बॉलीवुड नेताओं की एंट्री का श्रेय अमर सिंह को जाता है! शख्सियत, पैसे, बॉलीवुड और अपने संपर्कों के लिए मशहूर अमर सिंह 1995 में मुलायम के करीब आए थे. जबकि अमर की पार्टी में इंट्री के बाद राजबब्बर, बेनी प्रसाद वर्मा, जैसो को पार्टी छोड़नी पड़ी जबकि आजम खान, मोहन सिंह और जनेश्वर मिश्रा जैसे दिग्गज नेता पार्टी में हाशिए पर चले गए थे.

अब अमर सिंह की सपा की दिल्ली की राजनीति में वापसी से सबसे बड़ा नुकसान रामगोपाल यादव को होना था! पहले महागठबंधन को विफल बना कर अपनी जगह बचाने में कामयाब रहे रामगोपल के लिए अमर सिंह से निपटना नामुमकिन था ऐसे में उन्होंने नेता जी से असंतुष्ट चल रहे अखिलेश के सहारे दांव आजमया तो लेकिन ऐसा लगता है कि उनसे परिस्थितियों को पड़ने में चूक हो गई!

अमर सिंह पर एक नजर

अमर सिंह समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य एवं महासचिव रह चुके है! उन्होंने कोलकाता के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लॉ से बीए, एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है. अमर सिंह के परिवार में पत्नी पंकजा कुमारी सिंह और दो पुत्रियां हैं. भारतीय राजनीति में अमर सिंह उस समय बुलंदी पर थे, जब यूपीए सरकार के अमेरिका के साथ प्रस्तावित परमाणु समझौते के कारण भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था और सरकार अल्पमत में आ गई था. उस समय अमर सिंह ने ही मुलायम सिंह यादव को समर्थन देने के लिए राजी किया था.

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