बसंत पंचमी- रामलला को बनारस की सिल्क, असम से आए सोने के धागे से बने वस्त्र और आंध्र प्रदेश के कंजीवरम की पीताम्बरी धारण कराई जाएगी

Update: 2025-02-01 15:05 GMT

अयोध्या में राम मंदिर में विराजमान रामलला और सिद्ध पीठ हनुमान गढ़ी समेत अयोध्या के 5000 मंदिरों में 3 फरवरी से बसंत पंचमी के रंगोत्सव की शुरुआत होने जा रही है. 22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद इस साल दूसरी बार बालक राम अपने दिव्य मंदिर में होली खेलेंगे. बसंत ऋतु पर्व को और भी भव्यता देने की तैयारी की जा रही है. जिसके लिए मंदिर के गर्भगृह को फूलों से सजाया जाएगा जिसकी तैयारी चल रही है. वहीं रामलला को बनारस की सिल्क, असम से आए सोने के धागे से बने वस्त्र और आंध्र प्रदेश के कंजीवरम की पीताम्बरी धारण कराई जाएगी. जिसको लेकर तैयारियां अंतिम दौर में है.

बसंत पंचमी से अयोध्या के मंदिरों में भगवान व भक्तों के बीच अबीर गुलाल के साथ जमकर होली खेलने की अद्भुत परंपरा की शुरुआत होती है. 40 दिनों तक मठ-मंदिरों में आरती पूजन के बाद भगवान को अबीर और गुलाल लगाया जाता है. यह आयोजन बसंत पंचमी से लेकर होली तक चलता है. इसके अलावा बसंत पंचमी पर रंगोत्सव की परंपरा का खास नजारा हनुमानगढ़ी मंदिर पर देखने को मिलता है. इस साल भव्य राम मंदिर में इस उत्सव का आकर्षक नजारा देखने को मिलेगा. सुबह भगवान की श्रृंगार आरती के बाद अबीर-गुलाल अर्पित की जाएगी. दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के बीच अबीर गुलाल उड़ाकर खुशियां मनाई जाएंगी.

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास जी ने TV9 भारतवर्ष से बात करते हुए बताया कि, ‘हमारे यहां जो होली का त्योहार है वो बसंत पंचमी से प्रारंभ हो जाता है. बसंत ऐसी ऋतु है जिसे ऋतुओं का राजा कहा जाता है. ऋतुओं के राजा होने के कारण से जितने शुभ काम होते हैं उनकी शुरुआत यहीं से होती है. बसंत पंचमी भी एक महत्वपूर्ण तिथि है. इसलिए इस साल बसंत पंचमी पर भगवान रामलला के लिए स्वर्ण जड़ित वस्त्र धारण कराए जाएंगे.’

आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि रामलला को भोग लगाने के लिए 6 प्रकार के प्रसाद बनाए जाएंगे. जिसमें पूरी, सब्जी, खीर, रबड़ी और अन्य पकवान शामिल किए गए हैं. रामलला को भोग लगाने के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाएगा. बालक राम को अबीर-गुलाल लगाया जाएगा.

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