बस्ती के मिशनरी स्कूल में हिंदूवादी संगठन ने खेली होली, स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग
बस्ती जनपद के एक प्रतिष्ठित मिशनरी स्कूल के द्वारा सुनाए गए होली ना खेलने के तुगलक्की फरमान के बाद आज इसी स्कूल में जबरन विश्व हिंदू महासंघ के नेताओं ने घुसकर होली भी खेली और जय श्री राम के नारे भी लगाए. स्कूल मैनेजमेंट ने बच्चों को स्कूल में होली ने खेलने की हिदायत दी थी.
2 दिन पूर्व ही विश्व हिंदू महासंघ के नेताओं ने ऐलान कर दिया था कि स्कूल मैनेजमेंट ने यहां पढ़ने वाले बच्चे और उनके अभिभावकों को भले ही होली और रंग व पार्टी न करने की हिदायत दे रखी हो मगर यह हिंदू विरोधी फैसला है. इसलिए वे लोग स्कूल के अंदर होली खेलेंगे, ताकि हिंदू धर्म के पर्व के साथ दोबारा इस तरह का कोई भद्दा मजाक ना करें.
विश्व हिंदू महासंघ के लोगों ने बच्चों संग मनाई होली
इस अल्टीमेटम के बाद आज 11:00 बजे विश्व हिंदू महासंघ के जिला अध्यक्ष अखिलेश सिंह और योजन सभा के जिला अध्यक्ष सौरभ त्रिपाठी अपने कार्यकर्ताओं को लेकर मिशनरी स्कूल सेंट जोसेफ के अंदर घुस गए और विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के संग जमकर होली खेली. गौरतलब है कि बस्ती के इस मिशनरी स्कूल में पहली बार होली का आयोजन किया गया. जिसमें बच्चे भी शामिल हुए और उनके अभिभावक भी इसका जमकर लुफ्त उठाते नजर आए.
पिछले शुक्रवार को सेंट जोसेफ स्कूल के अधिकृत व्हाट्सएप ग्रुप पर मैनेजमेंट के द्वारा एक मैसेज दिया गया कि कोई भी बच्चा रंग नहीं खेलेगा और जो ऐसा करता पाया गया उसे परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा. इस बात की जानकारी विश्व हिंदू महासंघ के नेताओं को हुई तो विभाग बबूला हो गए और स्कूल मैनेजमेंट को अल्टीमेटम दिया कि अपना फैसला वापस ले और आगामी सोमवार को वे लोग इस स्कूल के अंदर घुसकर होली खेल कर दिखाएंगे.
हिंदूवादी संगठनों ने स्कूल के तुगलकी फरमान का विरोध जताया
हिंदूवादी संगठनों के विरोध के बाद संत जोसेफ स्कूल का मैनेजमेंट बैकफुट पर आते हुए सबसे पहले माफी मांगी और उसके बाद होली का आयोजन करने का भी पत्र जारी किया. दो दिन पहले सोशल मीडिया पर स्कूल का फरमान जारी होने की नोटिस वायरल होते ही हर कोई चौंक गया था. स्कूल के इस फैसले का विरोध होने लगा, अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा लगाने वाले स्कूल पर ताला लगाने की बात की जाने लगी.
विश्व हिंदू महासंघ के नेता और समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय सहित तमाम लोगों ने सेंट जोसेफ स्कूल जिगिना बस्ती द्वारा जारी होली का त्यौहार न मनाने के तुगलकी फरमान पर विरोध जताते हुए मांग किया कि बहुसंख्यक हिन्दू समाज के तिथि त्यौहारों पर प्रतिबंध लगाने का किसी को अधिकार नहीं है. कहा हम बहुसंख्यक होकर आपको क्रिसमस मनाने से मना नहीं करते तो इसका मतलब कोई हमारी संस्कृति पर सवाल नहीं खड़ा कर सकता.
विश्व हिंदू महासंघ के नेता ने क्या बोला?
उन्होंने आगे कहा कोई भी शिक्षण संस्थान शिक्षा देने के लिए है, हमारी धार्मिक मान्यताओं व तिथि त्यौहारों के निर्धारण व उसे मनाने या न मनाने का निर्देश देने का अधिकार उसे नहीं है. इसलिए निश्चित तौर पर स्कूल प्रबंधन का ये कृत्य क्षम्य नहीं है. आज तक तो मिशनरी के स्कूल चोटी तिलक कलावा पर स्कूल में मौखिक पाबंदी लगाता था मगर आज तो हद हो गया. बकायदा अभिभावकों व बच्चों को सूचना दिए जाने वाले ग्रुप में स्पष्ट निर्देश जारी कर बच्चों को स्कूल से लेकर घर तक पार्क से लेकर पार्टी तक होली मनाने से न केवल मना किया गया बल्कि फरमान जारी हुआ कि यदि ऐसा किसी ने किया तो उसे परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा, जबकि होली दीपावली दशहरा हम हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है.
हिंदूवादी नेताओं ने जिलाधिकारी बस्ती व शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मांग किया कि ऐसे विद्यालय का तत्काल मान्यता प्रत्याहरण कर संचालन बंद कराया जाये. वरना जागृत हिन्दू समाज आंदोलन का ऐलान किया था जिसके बाद आज हिंदूवादी नेता स्कूल के परिसर में घुसे और मैनेजमेंट की आंखों के सामने बच्चों के साथ रंग खेल कर होली मनाई.