कानपुर में गंगा मेला की धूम, डीएम ने तिरंगा झंडा फहराकर की शुरूआत; रंगों में सराबोर हुए लोग

Update: 2025-03-20 06:50 GMT

कानपुर। ऐतिहासिक हटिया गंगा मेला की शुरुआत कभी अंग्रेज कलेक्टर के रंग खेलने से मना करने पर हुई। अंग्रेज कलेक्टर ने होली खेलने से रोका था, जबकि स्वाधीनता के बाद से अभी तक शहर के जिलाधिकारी तिरंगा झंडा फहरा कर होली खेलने की शुरुआत करते हैं। गुरुवार को जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने रज्जन बाबू पार्क हटिया में तिरंगा झंडा फहराया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अनुराधा नक्षत्र में मनाए जाने वाले ऐतिहासिक गंगा मेला कानपुर की सांस्कृतिक विरासत और जिंदादिली का प्रतीक है और इसका हिस्सा बनना सौभाग्य की बात है। ब्रिटिशकाल में किसी जिलाधिकारी ने ही 1942 में होली रुकवाई थी।

अब आजाद भारत में अंग्रेजों के दमन चक्र के विरुद्ध लोगों के शौर्य की इस परंपरा को जिलाधिकारी के झंडा फहराने के बाद होली खेलने की शुरुआत होती है और रंगों का ठेला निकलता है। रंगों की ऐसी परंपरा अपने आप में अनूठी है। शाम को सरसैया घाट में मेला की परंपरा आपसी एकजुटता व सौहार्द को बनाए रखने की बड़ी धरोहर है।

रंगों का ठेला निकला, लोग रंगों से सराबोर

हटिया में गुरुवार को धूमधाम से रंगों का ठेला निकला। पुलिस बैड की धुन पर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने ध्वजारोहण किया। ठेला में भैसा ठेला, ट्रैक्टर ट्राली, ऊंट और घोड़े चल रहे थे। जेट मशीने लोगों को पानी से सराबोर कर रहीं थी। 23 मार्च को ही महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव औरI राजगुरु बलिदान हुए थे। गंगा मेले में सबसे पहले देश के इन बलिदानी सपूतों को श्रद्धांजलि दी गई।

अनुराधा नक्षत्र को रंग का ठेला शहर के विभिन्न मार्ग से निकालकर आजादी व भाईचारे का संदेश देता है। रंग का ठेला हटिया रज्जन बाबू पार्क से शुरू होकर कई मोहल्लों में भ्रमण कर पार्क में लौटेगा। रंग के ठेले के साथ छह ऊंट, छह ट्रैक्टर ट्राली, सात टेंपो ट्राली चल रही है।

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