चंदौली से विशेष रिपोर्ट
चंदौली:"क्षणे-क्षणे बदले तोहरे मिजाज रजउ.." इस भोजपुरी गाने की तर्ज पर चंदौली पुलिस का रवैया भी आजकल कुछ ऐसा ही हो चला है। जब मन किया FIR दर्ज की, जब चाहा बयान बदलवा लिया और जब चाहा पीड़ित को ही आरोपी बना डाला। अब ये पुलिस है या बहुरुपिया कलाकारों की मंडली, पहचानना मुश्किल हो गया है।
नवही चौकी का मामला हो या चंदौली जनपद की और चौकियों की हकीकत, एक बात तो साफ है—पुलिस अब "दबाव-दंड-धमकी" ट्रायोलाॅजी की मास्टर क्लास चला रही है। पीड़ित जाए भाड़ में, सच जाए नाले में, बस अधिकारी का चेहरा चमकना चाहिए,और चमक भी ऐसी कि सूरज शरमा जाए।
सुलह या वसूली का नया पाठ्यक्रम
नवही चौकी पर एक फरियादी पहुंचा न्याय की आस लिए, लेकिन वहां तो चल रहा था 'सुलह समझौते' का नया कोर्स, जिसमें फीस पहले और इंसाफ बाद में (या शायद कभी नहीं)। कुछ ही घंटों में यह समझौता बना "समझा दो वरना फंसा दो" का प्रयोगशाला मॉडल। पीड़ित ने पहले चौकी पर कार्यरत पुलिसकर्मियों के खिलाफ बयान दिया, फिर बदलवाया गया, और आखिर में उसे खुद ही भ्रमित कर दिया गया कि असल दोषी वो है या उसका शोषण करने वाला।
थाने में रात्रि विश्राम, सहमति के लिए संस्कार
फरियादी को देर रात तक थाने में रोके रखा गया—न चाय, न पानी, बस ‘समझदारी’ की चटनी में लिपटी धमकी परोसी गई। बेचारा सोचा था थाना न्याय का मंदिर है, लेकिन यहां तो पुजारी ही यमराज निकला। आखिरकार वह डगमगाया, और बयान बदल गया। फिर क्या था, पुलिस के महारथी बोले—"देखा, झूठ पकड़ा गया।"
दागदार दामन और सस्पेंड का साबुन
इस पूरे तमाशे में सबसे दिलचस्प किरदार रहा वो चौकी प्रभारी, जो पहले से ही अपने दामन पर दागों की भरमार लिए घूम रहे थे। लेकिन साबुन भी कोई मामूली नही! पूर्व में भी मुगलसराय थाना पर कार्यरत होने के दौरान लापरवाही बरतने पर एसपी आदित्य लांगहे के आदेश पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। अब सवाल ये है कि दाग छुपा या और उभरा?
जनता बोले—अब और नहीं!
सूत्रों की मानें तो अब जनता ने भी 'लंगोट कस' ली है। गली-गली में चर्चा है कि “तू डाल-डाल तो हम पात-पात।” सोशल मीडिया हो या जनसभा, अब जनता खुलकर बोल रही है—“हमें बयान नहीं बदलवाना, तुम्हारी तफ्तीश का पर्दा उठवाना है।”
अंत में सवाल यही—कब तक?
सवाल ये नहीं कि पुलिस कितनी ताकतवर है, सवाल ये है कि वह ताकत किसके लिए इस्तेमाल कर रही है—न्याय के लिए या निज लाभ के लिए? एक ऑडियो सामने आ चुका है, ऑडियो के बाद फरियादी ने वीडियो भी जारी किया, बिना जोर जबरदस्ती, फिर ट्रायलॉजी के कारण पलटा भी और नया वीडियो जारी हो गया, संभ्रांत लोगों ने सच्चाई की आग पर पानी डाल दिया। वाह, वाह कर जश्न में जुट गए।लेकिन सच्चाई की अभी चंद परतें ही उधड़ी हैं, अभी तो कहानी आगे और भी लंबी है। क्योंकि सच्चाई का माइक कभी ऑफ नहीं होता। लाग - लपेट नहीं, संभवतः अब सीधे जनता एसपी दरबार पहुंच साहब के पुण्य कर्मो का बयान करेगी।