पीएम मोदी ने कहा कि जनता ने 14वीं बार इस जगह पर बैठकर राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर दिया है। इसलिए मैं जनता जनार्दन का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। हम 2025 में है जो कि एक प्रकार से 21वीं सदी का 25 फीसदी हिस्सा बीत चुका है। ये समय तय करेगा कि 20वीं सदी की आजादी के बाद और 21वीं सदी के पहले 25 साल में क्या हुआ कैसा हुआ। पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति का भाषण विकसित भारत के संकल्प को मजबूती देने वाला, नया विश्वास पैदा करने वाला और जन सामान्य को प्रेरित करने वाला है।
पीएम मोदी ने कहा कि हमें 10 साल सेवा करने का मौका मिला और 25 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं। 5 दशक तक लोगों ने गरीबी हटाओं का नारा सुना। और ये लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। ये ऐसे ही नहीं हुआ। जब गरीबों के लिए जीवन खपाते हैं तब ऐसा होता है। जब जमीन से जुड़े लोग जमीन की सच्चाई जानते हुए जमीन पर जीवन खपाते हैं तब जमीन पर बदलाव निश्चित होता है। पीएम मोदी ने कहा कि हमने गरीब को झूठे नारे नहीं बल्कि उन्हें सच्चा विकास दिया। गराबी का दुख, मिडिल क्लास के सपने ऐसा ही नहीं समझे जाते बल्कि इसके लिए जज्बा चाहिए। लेकिन दुख के साथ कहना पड़ता है कि कुछ लोगों में ये है ही नहीं।
पीएम मोदी ने कहा कि बारिश के दिनों में कच्ची छत, फूल की प्लास्टिक की चादर वाली छत के नीचे रहना कितना मुश्किल होता है ये हर कोई नहीं समझ सकता। अब तक गरीबों को 4 करोड़ घर मिले है। जिसने उस जिंदगी को जिया है उसे पता होता है कि पक्के छत वाली घर का मतलब क्या होता है। एक महिला जब खुले में शौच जाने के लिए मजबूर होती है तो वह सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद कठिनाइयों के साथ नित्य कर्म करने जाने में क्या तकलीफ होती थी ये लोग नहीं समझ सकते। हमने 12 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाकर बहन बेटियों की मुश्किलें दूर की।
पीएम मोदी ने कहा कि कुछ नेताओ का फोकस घरों में जकूजी, स्टाइलिश शावर पर है लेकिन हमारा फोकस हर घर जल पहुंचाने पर है। आजादी के 75 साल के बाद देश में 75 फीसदी करीब-करीब 16 करोड़ से भी ज्यादा घरों के पास नल का कनेक्शन नहीं था। हमारी सरकार ने 12 करोड़ परिवारों को नल से जल देने का काम किया है और काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। हमने गरीबों के लिए इतना काम किया इस कारण राष्ट्रपति ने इसका जिक्र किया। जो लोक गरीबों की झोपड़ियों में फोटो सेशन कराकर अपना मनोरंजन करते रहते हैं उन्हें संसद में गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं उनका गुस्सा समझ सकता हूं। समस्या के समाधान के लिए समर्पित भाव से प्रयास करना पड़ता है। देश में एक पीएम हुआ करते थे उनके मिस्टर क्लीन कहने का फैशन हो गया था। उन्होंने समस्या को पहचाना था और कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो गांव में 15 पैसा पहुंचता है। उस समय तो पंचायत से लेकर संसद तक एक ही पार्टी का राज था। उस समय उन्होंने सार्वजनिक तौर पर ऐसा कहा था। ये बहुत गजब की हाथ सफाई थी।
पीएम मोदी ने कहा कि देश ने हमें अवसर दिया और हमने समाधान का खोजा। हमारा मकसद है बचत भी और विकास भी। हमने जनधन, आधार, मोबाइल की ट्रिटी बनाई और डीबीटी से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर देना शुरू किया। हमने 40 लाख करोड़ रुपया सीधा जनता के खाते में जमा किया। इस देश का दुर्भाग्य देखिए- सरकारें किसके लिए चलाई गई।
पीएम मोदी ने कहा कि जब बुखार होता है तो लोग कुछ भी बोलते हैं लेकिन जब हताशा छा जाती है तब लोग कुछ भी बोलते हैं। जो जन्म भी नहीं लिए थे ऐसे 10 करोड़ लोग सरकारी खजाने से योजनाओं का फायदा ले रहे थे। हमने इन 10 करोड़ फर्जी नामों को हटाया और असली लाभार्थियों तक लाभ पहुंचाया। ये फर्जी लोग जब हटे तब करीब 3 लाख करोड़ रुपया गलत हाथों में जाने से बच गया। पीएम मोदी ने कहा कि हमने सरकारी खरीद में तकनीक का प्रयोग किया और जैम पोर्टल से जो खरीदी हुई वो आम खरीद से कम में हुई और 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये की बचल हुई। स्व्चछता अभियान का मजाक उड़ाया गया जैसे हमने कोई पाप कर दिया। लेकिन आज मुझे संतोष से कहना है कि इस सफाई के कारण हाल के वर्षों से सिर्फ सरकारी दफ्तरों से बेचे गए कबाड़ से दो हजार 300 करोड़ रुपये मिले।
पीएम मोदी ने कहा कि हमने इथेनॉल ब्रांडिंग का अभियान चलाया क्योंकि हमे एनर्जी आयात करना पडता है। इस एक फैसले से 1 लाख करोड़ रुपये का फर्क पड़ा है। और ये पैसे किसानों की जेब में गया है। पहले अखबारों में लाखों के घोटाले की बात होती थी। 10 साल हो गए, घोटाले न होने के कारण लोगों के लाखों करोड़ रुपये बचे हैं जो जनता की सेवा में लगे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमने जो अलग-अलग कदम उठाए इससे जो पैसे हचे उनका उपयोग बमने शीश महल बनाने के लिए नहीं बल्कि देश बनाने के लिए किया है। इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट 10 साल पहले एक लाख 80 हजार करोड़ था। जो कि आज 11 लाख करोड़ है। रोड हो, हाइवे, रेलवे, ग्रांम सड़क हो इन सभी कामोें के लिए विकास की एक मजबूत नींव रखी गई है।
पीएम मोदी ने कहा कि सरकारी खजाने में तो बचत हुई ही लेकिन हमने इस बात का भी ध्यान रखा कि लोगों को भी इसका लाभ मिला। आयुष्मान भारत योजना का फायदा जिन लोगों ने लिया है, वैसे लोगों के 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये बचे हैं। जन औषधि केंद्र से दवाई लेने वाले लोगों के करीब 30 हजार करोड़ रुपये खर्च बचे हैं। UNICEF का कहना है कि जिसके घर में टॉयलेट है उन्हें सालाना 70 हजार रुपये की बचत हुई है। WHO का कहना है कि नल से जल मिलने के कारण परिवारों के अन्य बीमारियों में खर्च होने वाला 40 हजार रुपये बचे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे हैं. पीएम मोदी ने 14वीं बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा में यहां बैठकर शामिल होने को अपना सौभाग्य बताया और इसके लिए जनता का आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि हम 2025 में हैं और 21 वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है. समय तय करेगा कि इसमें क्या हुआ, कैसे हुआ. अगर हम राष्ट्रपति के संबोधन का बारीकी से अध्ययन करेंगे तो ये साफ नजर आता है कि एक नए भारत के लिए आत्मविश्वास जगाने वाला है. राष्ट्रपति का संबोधन विकसित भारत के संकल्प को मजबूती देने वाला, नया विश्वास जगानेा वाला और जनसामान्य को प्रेरित करने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने नारे नहीं दिए, गरीबों की सच्ची सेवा की. पांच-पांच दशक तक झूठे नारे दिए गए. मिडिल क्लास के सपने ऐसे ही नहीं समझे जाते. इसे समझने के लिए जज्बा चाहिए. मोदी को बहुत दुख के साथ कहना है कि कुछ लोगों के पास ये है ही नहीं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ नेताओं का फोकस अपने घर के स्टाइलिश बाथरूम पर है. हमारा फोकस तो हर घर नल से जल पहुंचाने पर है. 12 करोड़ लोगों को नल से जल दिया. हमारा फोकस गरीबों के घर बनाने पर है. जो लोग गरीबों की झोपड़ी में फोटो सेशन कराते हैं, उनको गरीबों की बात बोरिंग ही लगेगी. समस्या की पहचान करके छूट नहीं सकते. समस्या का समाधान भी करना होता है. हमारा प्रयास समस्या के समाधान का रहता है और हम समर्पित भाव से प्रयास करते हैं. हमारे देश में एक प्रधानमंत्री हुआ करते थे, उनको मिस्टर क्लीन कहने का फैशन हो गया था. उन्होंने एक समस्या को पहचाना था और कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है तो गांव में 15 पैसा पहुंचता है. उस समय तक तो पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी का राज था. उन्होंने सार्वजनिक रूप से ये कहा था. बहुत गजब की हाथ सफाई थी. देश ने हमें अवसर दिया, हमने समाधान खोजने का प्रयास किया. हमारा मॉडल है, बचत भी, विकास भी. जनता का पैसा, जनता के लिए. हमने जनधन, आधार की जैन ट्रिनिटी बनाई और डीबीटी से देना शुरू किया और हमारे कार्यकाल में 40 करोड़ रुपये सीधे जनता के खाते में जमा किए. देश का दुर्भाग्य देखिए, सरकार कैसे और किसके लिए चलाई गईं. पीएम मोदी के इतना कहने पर विपक्ष की ओर से बैठे-बैठे सदस्यों ने टिप्पणी शुरू कर दी. इस पर स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें टोकते हुए कहा कि ये ठीक नहीं है. आप उनको प्रोटेक्ट करना चाहते थे.
पीएम मोदी ने कहा कि जब ज्यादा बुखार चढ़ जाता है तब भी लोग बोलते हैं और ज्यादा हताशा में भी. 10 करोड़ लोग जिनका भारत में जन्म भी नहीं हुआ, वे योजनाओं का फायदा ले रहे थे. हमने इनको हटाया और असली लाभार्थियों को खोज-खोज के लाभ पहुंचाने का अभियान चलाया. हिसाब लगाएं तो तीन लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बच गया. हाथ किसका था, नहीं कह रहा. हमने सरकारी खरीद में भी टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया. जैम पोर्टल से जो खरीदी हुई, आम खरीदी से कम पैसे में खरीदी हुई और सरकार के 1 लाख 15 हजार करोड़ की बचत हुई. हमारी स्वच्छता अभियान का मजाक उड़ाया गया, क्या-क्या नहीं कहा गया. सिर्फ सरकारी दफ्तरों से जो कबाड़ बेचा गया, 2300 करोड़ रुपये मिले हैं सरकार को. महात्मा गांधी ट्रस्टी कहते थे और कहते थे कि संपत्ति जनता की है. हम इसकी पाई-पाई बचाने का प्रयास करते हैं.