कानपुर में RSS चीफ मोहन भागवत ने किया आह्वान, 'सामाजिक विषमता को खत्म करने की समय सीमा तय करें'
कानपुर। समाज में जाति और छुआ-छूत के आजादी के इतने वर्षों बाद भी खत्म न होने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मंगलवार को इसकी समय सीमा तय करने की बात कही कि कब तक सामाजिक विषमता को खत्म किया जा सकेगा। वह कारवालो नगर स्थित संघ कार्यालय केशव भवन में पांच दिवसीय प्रवास पर आए हुए हैं।
संघ प्रमुख ने शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम में समरसता को जोड़ते हुए कहा कि संघ का साहित्य लेकर हम गांव-गांव जाने वाले हैं। हमें गांव-गांव जाकर समरसता के संदेश को देना है। हम कितने समय में इस सामाजिक विषमता को समाप्त कर सकेंगे, इसके लिए एक लक्ष्य तय करना होगा। इसके साथ ही हमें समतायुक्त, शोषणमुक्त, जातिविद्वेष मुक्त भारत बनाना होगा। इसके लिए हम सभी को बहुत तेजी से कार्य करना है।
भागवत ने कही ये बातें
उन्होंने पदाधिकारियों से कहा कि समरसता संघ की गतिविधि ही नहीं संघ के स्वयंसेवक का स्वभाव है। यहां 25-30 साल तक एक साथ काम करने वाले स्वयंसेवक भी एकदूसरे की जाति नहीं जानते। हमें अपने कार्य और स्वभाव से यही मानसिकता पूरे समाज की बनानी है।
समरसता संघ के स्वयंसेवक का स्वभाव होने के कारण संघ से जुड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति में समरसता का भाव स्वभाविक हो जाता है। संघ के स्वयंसेवक का समरसतापूर्ण स्वभाव समाज का भी स्वभाव बने, इसका प्रयास बहुत तेजी से करना है।
सभी जातियों ने महापुरुष दिए हैं- भागवत
उन्होंने कहा कि ऐसी कोई जाति नहीं है, जिसने देश के उत्थान में या देश पर आए संकट के दौरान संघर्ष करके योगदान न दिया हो। सभी जातियों ने महापुरुष भी दिए हैं। ग्रामीण परिवेश में छुआ-छूत की बड़ी समस्या पर उन्होंने साफ कहा कि श्मशान, मंदिर और जलाशय पर हिंदू समाज की सभी जातियों का समान अधिकार है।
बैठक में क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक श्रीराम, प्रांत संघ चालक भवानी भीख तिवारी, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. अनुपम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेंद्र सिंह, सह प्रांत प्रचारक मुनीश सहित प्रांत के 21 जिलों के जिला समरसता प्रमुख तथा विभाग समरसता प्रमुख उपस्थित रहे।