Janta Ki Awaz

भोजपुरी कहानिया - Page 14

(कहानी) मंहगी प्रसिद्धि... : अमन पाण्डेय

18 Jan 2020 9:01 AM GMT
नए- नए सुखद एहसास पुराने घाव को भी भरने का प्रयास करतें हैं..., लेकिन फागुन के मारे को वसन्त कितना तृप्त कर सकता है ? अब तो मन और आत्मा को भी सन्धियाँ...

झुमके : आशीष त्रिपाठी

15 Jan 2020 6:32 AM GMT
शहर के समृद्ध सेठ और समाजसेवी , चौधरी रामनाथ की पत्नी भगवन्ता देवी इस बार मायके गईं तो दूसरे दिन दही मिले गन्ने का रस लेकर आई मंझली और उसके छोटे भाई ...

गीलापन.....रिवेश प्रताप सिंह

30 Sep 2019 1:40 PM GMT
बरसना एक वेग है, प्रवाह और ऊर्जा है। लेकिन बरसने के बाद का गीलापन...एक ठहराव है, शिथिलता और जड़ता है! जवानी की धार को कुंद करने का षडयंत्र है। नोंक पर...

लखनू पंडित...गायन मंडली . रिवेश प्रताप सिंह

10 Sep 2019 6:19 AM GMT
लखनू पंडित और उनकी गायन मंडली दस बीस गाँवों में अपने गीत-गुंजन हारमोनियम, तबले और खजड़ी से खूब जानी पहचानी जाती थी. पंडीजी के दुआर पर सुबह दो- चार लोग...

एक कहानी .........रहस्य...

30 July 2019 2:17 PM GMT
...बिहार के बेगूसराय जिले का एक सामान्य गाँव, गाँव के जमींदार थे बाबू बटेसर सिंह। बाबू साहब कई सौ बीघे के काश्तकार थे, अगल बगल के दस से अधिक...

सुन रहे हैं??.........हाँ, बताओ न...: सौरभ चतुर्वेदी

28 July 2019 5:58 AM GMT
आज बाबू के स्कूल की छुट्टी ग्यारह बजे ही हो जाएगी..आपकी छुट्टी है ही..वैन के ड्राइवर को फोन करके आप खुद ही स्कूल चले जाइए..बच्चा खुश हो जाएगा कि पापा...

अखरेला अधिका सवनवा बटोहिया

28 July 2019 2:28 AM GMT
विद्यालय से वापस लौटते आलोक पाण्डेय जब एकाएक झमाझम बारिस में घिर गए, तो जाने क्यों भीगने का मन होने लगा। पॉकेट से पैसा निकाल कर गाड़ी की डिक्की में...

कहानी : जनाना मर्दाना... रिवेश प्रताप सिंह

8 July 2019 2:43 PM GMT
हिन्दी के उन मूर्धन्यों को भी सौ तोपों की सलामी जिन्होंने सजीव के अतिरिक्त निर्जीवों में स्त्रीलिंग-पुलिंग की श्रेणी बना डाली। सजीवों में तो लिंग...

लभ यू तीन गोरियां.... आलोक पाण्डेय

7 July 2019 4:43 AM GMT
'बिन मारे बैरी मरे' की खुशी को दबाते हुए आइए सुनते हैं कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश अखंड भारत के भाग रहे हैं, अब क्योंकि ये भारत के विखंड...

कहानी : जामुन के पेड़ का प्रोटोकॉल बरसात में ...

6 July 2019 12:18 PM GMT
मुहल्ले में एक हुआ करता था, जिसकी अहमियत बरसात के दिनों में बढ़ जाती.. शेष महीने उसका कोई प्रोटोकॉल नहीं रहता. बरसात में जब जामुन पकती तो लगातार...

चरित्रहीन गाय (व्यंग्य)

5 July 2019 12:24 PM GMT
बकलोलपुर के जंगल मे एक हत्या हो गयी। एक गाय को कई भेड़ियों में सरेआम मिल कर चीड़-फाड़ दिया। गाय चुकी सज्जन थी, विवादों से दूर रहने वाली थी, सो प्रकृति के...

'शिकायत" (कहानी)

5 July 2019 7:31 AM GMT
नित्य की भांति अपने नर्सिंग होम के सभी वार्डों का चक्कर लगाते डॉ शशिशेखर शुक्ला जब जेनरल वार्ड में पहुँचे, तो एक बेड के पास अनायास ही ठिठक गए। बेड पर...
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