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उत्तर प्रदेश

नजर कहीं और निशाना कहीं, माथे पर तिलक और नज़रों में अपना पुराना जनाधार

कांग्रेस अगर ब्राह्मणों का वोट काट पाने में सफल रही तो इससे भाजपा के मज़बूत होने की संभावनाएं झीण होंगी और उत्तर प्रदेश से दोबारा वो संदेश दोहराया जा सकेगा जो बिहार में महागठबंधन का हिस्सा बनकर कांग्रेस दे पाई थी. 2017 की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस और उसके अभियान प्रबंधक प्रशांत किशोर की नज़र दरअसल 2019 के चुनाव पर है और 2017 का उत्तर प्रदेश चुनाव उस दिशा में खासा निर्णायक है.

इसे इस तरह से भी देखें कि जिस कांग्रेस पार्टी के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार का 10 वर्षों के दौरान ज्यादा ध्यान मजदूरों, भूमिहीनों पर केंद्रित था वो पार्टी आज किसानों की बात ज्यादा कर रही है. दरअसल, संख्या में कम होते हुए भी जमीनों पर अधिकार अगड़ों के पास ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण, ठाकुर और यादवों के पास खासी जमीनें हैं. जिस कर्जमाफी का नारा कांग्रेस यूपी में दोहरा रही है, वो अगड़ों को ज्यादा लाभान्वित करेगा, पिछड़ों, दलितों को कम.

राहुल किसानों के साथ खाट डालकर बैठे हैं. लेकिन माथे पर तिलक है और नज़रों में अपना पुराना जनाधार. बीजेपी के लिए यह निश्चि‍त रूप से चिंता का विषय है.
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