सब ठीक रहा तो राजधानीवासी भी सेमी हाईस्पीड ट्रेनों से दिल्ली की यात्रा कर सकेंगे। हालांकि 130 से 190 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली इन ट्रेनों के लिए रूट को अपग्रेड करने की जरूरत है जिस पर काम चल रहा।
यह कहना है रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल का। उन्होंने कहा कि दिल्ली-कानपुर रेलखण्ड सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के लिए ज्याद मुफीद है। इसलिए इस रूट पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने में खास दिक्कतें नहीं आएंगी।
रूट अपग्रेड होने के बाद इस पर सेमी हाईस्पीड ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। लखनऊ-कानपुर सेक्शन छोटा है। दिल्ली-कानपुर सेक्शन को अपग्रेड करने के बाद इस रूट पर भी सेमी हाईस्पीड ट्रेनें चलाने पर विचार किया जाएगा।
आरडीएसओ की गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद प्रेसवार्ता में रेलवे बोर्ड चेयरमैन ने कहा कि ट्रैक-प्लेटफॉर्म की कमी से आउटर पर ट्रेनों को खड़ा करना पड़ता है।
अमौसी, दिलकुशा व मानकनगर से ट्रेनों को चारबाग पहुंचने में काफी समय लगता है। इसका इलाज रेलवे लाइनों की संख्या बढ़ाने से ही होगा।
यार्ड रिमॉडलिंग की सभी रुकावटें दूर कर दी गईं हैं। सिग्नलिंग, कंट्रोल, रूट रिले इंटरलॉकिंग (आरआरआई) के लिए बजट जारी हो चुका है।
रूट अपग्रेड होने के बाद इस पर सेमी हाईस्पीड ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। लखनऊ-कानपुर सेक्शन छोटा है। दिल्ली-कानपुर सेक्शन को अपग्रेड करने के बाद इस रूट पर भी सेमी हाईस्पीड ट्रेनें चलाने पर विचार किया जाएगा।
आरडीएसओ की गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद प्रेसवार्ता में रेलवे बोर्ड चेयरमैन ने कहा कि ट्रैक-प्लेटफॉर्म की कमी से आउटर पर ट्रेनों को खड़ा करना पड़ता है।
अमौसी, दिलकुशा व मानकनगर से ट्रेनों को चारबाग पहुंचने में काफी समय लगता है। इसका इलाज रेलवे लाइनों की संख्या बढ़ाने से ही होगा।
यार्ड रिमॉडलिंग की सभी रुकावटें दूर कर दी गईं हैं। सिग्नलिंग, कंट्रोल, रूट रिले इंटरलॉकिंग (आरआरआई) के लिए बजट जारी हो चुका है।