लखनऊ। : उत्तर प्रदेश में अब तक के सबसे अभूतपूर्व सियासी संकट की पटकथा राजधानी लखनऊ नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली से लिखी जा रही है। माना जा रहा है कि इस महाभारत का पटाक्षेप भी दिल्ली में ही होगा। यही वजह है कि शिवपाल यादव लखनऊ न आकर सीधे इटावा से चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। दिल्ली में शिवपाल पार्टी सुप्रीमो मुलायम से मुलाकात करेंगे।
अपने अावास पर आयोजित कार्यक्रम में अखिलेश ने कहा कि शिवपाल सिंह को अच्छी तरह मालूम है कि मुख्य सचिव को क्यो हटाया गया है। नेता जी पार्टी के मुखिया हैं वह जो कहते हैं वही होता है लेकिन कभी निर्णय खुद लेना पड़ता है। इस बीच मुख्यमंत्री ने भी अपने कई सरकारी कार्यक्रम को रद्द कर दिए है और वे इस वक्त अपने आवास पांच कालिदास मार्ग पर सभी डेवलपमेंट पर नजरें गड़ाए हुए हैं। मुख्यमंत्री को आज हिंदी संस्थान और पीडब्लूडी के कार्यक्रम में जाना था लेकिन उन्होंने उसे रद्द कर दिया। अब सभी की निगाहें दिल्ली में मुलायम सिंह यादव के आवास पर लगी है। अब फैसला नेताजी को लेना है, क्योंकि चाचा और भतीजे के बीच की लड़ाई काफी गहरी है जिसे सुलह से पाटना नामुमकिन लग रहा है।
सूत्रों की माने तो अब लड़ाई आर-पार की है। शिवपाल यादव से महत्वपूर्ण विभाग छीने जाने के बाद उनके पास इस्तीफा देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। यही वजह है कि वे लखनऊ न आकर सीधे दिल्ली गए हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री भी अपने फैसले को बदलने के मूड में नहीं हैं क्योंकि आखिर में जनता के बीच उन्हीं को जाना है। जनता को जवाब भी उन्हे ही देना है
इससे पहले सैफई में अपने समर्थकों के बीच प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि अब जो भी फैसला होगा वो नेताजी लेंगे और उनका फैसला सभी को मान्य होगा। सैफई में शिवपाल से चाचा भतीजे के रिश्ते में आई खटास के बारे में पत्रकारों से पूछा तो शिवपाल का कहना था कि हम बच्चे नहीं हैं। हम साठ साल से ज्यादा के हैं। दूसरे लोगों को भी सोचना चाहिये कि वे किसी के बहकावे में न आयें। पत्रकार वार्ता के बाद शिवपाल अपने घर चले गये हैं। जो समर्थकों की संख्या दो ढाई हजार थी वो भी कम हो गई गई है। डेढ़ दो सौ लोग रह गये हैं। शायद चौपर का इंतजार हो रहा है।