Hunger Index में देश की हालत पर भी चिंता करनी चाहिए .

Update: 2016-10-13 10:44 GMT

भारत में भुखमरी की समस्‍या बेहद विकराल रूप में है। 118 देशों के ग्‍लोबल हंगर इंडेक्‍स (GHI) में भारत 97वीं पायदान पर आंका गया है। भारत से बुरी परिस्थितियां बेहद गरीब अफ्रीकन देशों जैसे नाइजर, चद, इथोपिया और सिएरा लियोनी के अलावा पड़ोसी पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान में बताई गई हैं। भारत के अन्‍य पड़ोसी- श्रीलंका, बांग्‍लादेश, नेपाल और चीन की रैंकिंग भारत से बेहतर है। ग्‍लोबल हंगर इंडेक्‍स हर साल चार पैमानों के आधार पर आंका जाता है- कुपोषित जनसंख्‍या का हिस्‍सा, 5 वर्ष की आयु तक के व्यर्थ और अवरुद्ध बच्चे, तथा इसी आयु-वर्ग में शिशु मृत्यु दर। 131 देशों पर किए गए शोध में, 118 देशों का डाटा उपलब्‍ध था। इस साल पहली बार बाल भुखमरी के दो पैमानों- वेस्टिंग और स्‍टंटिंग को लिया गया ताकि असल तस्‍वीर उभर सके। वेस्टिंग का मतलब बच्‍चे की लंबाई की तुलना में कम वजन होना है, जिससे एक्‍यूट कुपोषण का पता चलता है। जबकि स्‍टंटिंग का मतलब उम्र के हिसाब से लंबाई में कमी को दर्शाता है, जिससे क्रॉनिक कुपोषण का पता चलता है।

ग्‍लोबल हंगर इंडेक्‍स की गणना इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (IFPRI) हर साल करता है। टाइम्‍स ऑफ इंडिया के मुताबिक, सबसे ताजा डाटा के आधार पर अपने शोध में 2016 के भारत का GHI इसलिए इतना गिरा हुआ है क्‍योंकि देश की लगभग 15 फीसदी आबाद कुपोषित है- पर्याप्त भोजन के सेवन में कमी, मात्रा और गुणवत्ता, दोनों में। 5 वर्ष से कम आयु के 'वेस्‍टेड' बच्‍चे करीब 15 प्रतिशत हैं जबकि 'स्‍टंटेड' बच्‍चों का प्रतिशत आश्‍चर्यजनक रूप से 39 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इससे पता चलता है कि यह देश भर में संतुलित आहार की कमी की वजह से फैला हुआ है। 5 वर्ष से कम उम्र में शिशु मृत्‍यु दर भारत में 4.8 प्रतिशत है, जो कि अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण का घातक तालमेल दिखाता है।

यह हाल तब है जब भारत दुनिया के दो सबसे बड़े बाल पोषण कार्यक्रम चलाता है- 6 साल से कम उम्र के बच्‍चों के लिए ICDS और स्‍कूल जाने वाले 14 वर्ष तक के बच्‍चों के लिए मिडडे मील, फिर भी कुपोषण की यह स्थिति भयावह है।

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